स्टैनफोर्ड मेडिसिन (Stanford Medicine) के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि कोविड-19 (COVID-19) के लिए बनाई गई mRNA-आधारित वैक्सीन कुछ किशोरों और युवाओं में हृदय को नुकसान (मायोकार्डाइटिस) (Myocarditis) क्यों पहुंचा सकती है. साथ ही, उन्होंने इस जोखिम को कम करने का एक संभावित तरीका भी सुझाया है.
उन्नत लैब तकनीकों और वैक्सीनेशन कराए व्यक्तियों के डेटा का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने दो-चरण वाली एक प्रक्रिया की पहचान की, जिसमें यह वैक्सीन एक प्रकार की इम्यून कोशिका को सक्रिय करती है, जो दूसरी प्रकार की इम्यून कोशिका को उत्तेजित करती है. इस प्रक्रिया से उत्पन्न सूजन हृदय की मांसपेशी को सीधे नुकसान पहुंचाती है और आगे की सूजन को भी बढ़ाती है.
स्टैनफोर्ड कार्डियोवस्कुलर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. जोसेफ वू ने कहा कि COVID-19 के लिए दी जा रही mRNA वैक्सीनें बेहद सुरक्षित हैं और इनकी वजह से महामारी का प्रभाव काफी कम हुआ.
उन्होंने कहा, ‘इन वैक्सीनों ने COVID महामारी को रोकने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इनके बिना स्थिति और भी खराब हो सकती थी.’ यह भी पढ़ें: JN.1 Variant Covid Update: एशिया में फिर लौट आया कोरोना, JN.1 वैरिएंट से बढ़ा खतरा; भारत में भी बढ़ सकती है चिंता
कोविड mRNA वैक्सीन कैसे दिल को पहुंचा सकता है नुकसान
NEW - Covid mRNA injections can cause heart damage by triggering immune cells to go on the attack, scientists have found. pic.twitter.com/Ou2ykeocex
— Disclose.tv (@disclosetv) December 11, 2025
mRNA वैक्सीन और मायोकार्डाइटिस का दुर्लभ जोखिम
mRNA वैक्सीन तेजी से विकसित की जा सकती हैं और नई उभरती बीमारियों के लिए तुरंत अनुकूलित की जा सकती हैं. हालांकि, हर वैक्सीन की तरह, यह भी हर किसी में समान रूप से सुरक्षित प्रतिक्रिया नहीं देती.
एक दुर्लभ लेकिन वास्तविक जोखिम है मायोकार्डाइटिस, जिसमें हृदय की मांसपेशियों में सूजन होती है. इसके लक्षण—सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बुखार और दिल की धड़कन तेज़ होना—वैक्सीन के 1 से 3 दिन के भीतर दिखाई देते हैं.
- पहली डोज के बाद यह जोखिम लगभग 1/140,000 है
- दूसरी डोज के बाद यह बढ़कर 1/32,000 हो जाता है
- 30 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में यह दर 1/16,750 तक हो जाती है.
अधिकतर मामलों में लोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.
COVID बनाम वैक्सीन: किससे ज्यादा खतरा?
डॉ. वू के अनुसार, COVID-19 संक्रमण स्वयं मायोकार्डाइटिस पैदा करने की 10 गुना अधिक संभावना रखता है यानी वैक्सीन का जोखिम संक्रमण के जोखिम से बहुत कम है.
शोध ने क्या पाया?
शोधकर्ताओं ने उन व्यक्तियों के रक्त का विश्लेषण किया जिन्हें वैक्सीन लगी थी—कुछ को मायोकार्डाइटिस हुआ और कुछ को नहीं.
दो प्रमुख प्रोटीन पाए गए:
- CXCL10
- IFN-gamma
ये दोनों साइटोकाइन्स हैं, जिन्हें शरीर की इम्यून कोशिकाएं सूचनाएं भेजने के लिए उपयोग करती हैं.
लैब में किए गए प्रयोगों से पता चला:
- mRNA वैक्सीन मैक्रोफेज (immune responder cells) को सक्रिय करती है, जो CXCL10 छोड़ते हैं.
- इससे T-cells सक्रिय होते हैं और वे IFN-gamma छोड़ते हैं.
- CXCL10 और IFN-gamma मिलकर हृदय की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं.
- जब शोधकर्ताओं ने इन साइटोकाइन्स को ब्लॉक किया, तो हृदय को कम नुकसान पहुंचा.
पशु व मानव कोशिका मॉडल में भी यही पैटर्न दिखा
- हृदय में सूजन
- हृदय की कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होना
- ट्रोपोनिन स्तर बढ़ना (दिल को चोट का संकेत)
सोयाबीन से मिलने वाला उपाय?
शोध में Genistein नामक एक यौगिक (सोयाबीन में पाया जाता है) ने वैक्सीन से होने वाले हृदय-नुकसान को कम किया.
- इसमें हल्का एस्ट्रोजन जैसा प्रभाव है.
- यह सूजन कम करता है.
- कोशिकाओं और चूहों में हृदय को हुए नुकसान को काफी हद तक रोक पाया.
डॉ. वू के अनुसार, यह सिद्धांत भविष्य में अधिक सुरक्षित mRNA वैक्सीन बनाने में मदद कर सकता है.
अंतिम निष्कर्ष
- mRNA वैक्सीन बेहद सुरक्षित हैं.
- मायोकार्डाइटिस का जोखिम दुर्लभ है.
- COVID-19 का संक्रमण वैक्सीन से कहीं अधिक हानिकारक हो सकता है.
- शोध भविष्य में अधिक सुरक्षित mRNA वैक्सीन का रास्ता खोल सकता है.













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