The Secret Power of Durga: ‘शक्ति’ मंदिरों या मूर्तियों में नहीं, आपके भीतर है! आज की औरत जानें दुर्गा की उस ‘गुप्त’ शक्ति को!

   आपका एक गढ़ा हुआ रूप है, जो दुनिया द्वारा नियंत्रित है, दुनिया के वश में है, जिसने सहमत होना, संयमित होना और धार को नरम करना ही सीखा है, ताकि दूसरे सहज महसूस करें, लेकिन दुर्गा दुर्गा है, वह सिकुड़ती नहीं, संकोच नहीं करती, शक्ति प्रदर्शन की अनुमति नहीं मांगती, क्योंकि वह दिव्य ऊर्जा है, शक्तिशाली है, निडर है, खुद में कम होने में रुचि नहीं रखती, फिर आज की स्त्री की दिनचर्या ऐसी क्यों? जैसे अपने अस्तित्व के लिए माफी मांग रही हो. हमें बताया-सिखाया गया, कि शक्ति हमें खतरनाक बनाती है, अप्रिय बनाती है, हमारी कोमलता ही प्रेम प्राप्ति का एकमात्र तरीका है, आज माँ दुर्गा हमें हमारा अस्तित्व बताने के लिए मौजूद है, ये जागने का समय है...

शक्ति अनुमति नहीं मांगती

देवी दुर्गा किसी के द्वारा शक्तिशाली होने का अधिकार दिए जाने का इंतज़ार नहीं करती. वह नहीं पूछतीं, कि क्या उसकी शक्ति बहुत ज़्यादा है? वह स्वयं शक्ति है—अदम्यनिर्विवादअजेय. हम किसी के यह कहने का इंतज़ार करते हैं, ‘हांतुम्हें निर्भीक होनेनिडर होनेअपनी जगह बनाने की इजाज़त है.यह भी पढ़ें : Health Tips: मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अपनाएं ये योगासन, मिर्गी से मिलेगा आराम

   लेकिन दुनिया आपको ये ताकत कभी नहीं देगी. आप दुनिया में छोटा बनने या किसी से सहमत होने के लिए नहीं आई हैं. आप यहां दूसरों की अपेक्षाओं से परिभाषित होने के लिए नहीं हैं, आप अपनी शक्ति को अपनाने के लिए हैं, बिना किसी क्षमा याचना केबिना हिचकिचाहट केबिना डर के, क्योंकि जिस क्षण आप अनुमति मांगना बंद करती हैंउसी क्षण अजेय हो जाती हैं.

शक्ति में दया का अभाव नहीं है

  सदियों से महिलाओं से एक झूठ कहा जाता रहा, कि आपको दयालु या मजबूत में से एक चुनना होगा. दुर्गा हमें सच्चाई दिखाती हैं. शक्ति और दया अलग नहीं हैं. शक्ति ही दया की रक्षा करती है. वह योद्धा हैंसाथ ही मां भी हैं. वह लड़ती हैंलेकिन परवरिश भी करती हैं, पवित्र चीजों की रक्षार्थ विनाश भी करती हैंशक्ति क्रूर नहीं है, शक्ति उद्देश्यहीन क्रोध नहीं, सच्ची शक्ति जानती हैं कि कब कोमल होना है, कब अडिग रहना है. दयालु होने का अर्थ कमज़ोर होना नहीं है, लेकिन मजबूत होने का अर्थ निर्दयी होना भी नहीं है, जिस दिन महिला यह समझ जाती है, वह दुनिया को बताना बंद कर देती है कि उसे क्या बनना है.

औरत का आक्रोश, जो..

  समाज आक्रोशी औरत से हमेशा से डरता रहा हैक्योंकि आक्रोशी औरत किसी से नहीं डरती. उसे काबू में रखना मुश्किल है. देवी दुर्गा का गुस्सा बेवजह नहीं है, यह पवित्र है, वह आग है जो अन्याय को जला देती है, वह शक्ति है जो गलत चीज को हटा देती है, लंबे समय से औरत को अपने क्रोध को दबाने, सहमत होने, और बेवजह मुस्कुराने के लिए कहा जाता रहा है.

लेकिन उसका आक्रोश किसी के साथ दुश्मनी नहीं है. औरत का आक्रोश जो बहुत सह चुकी है, एक परिवर्तन की शुरुआत है. इसलिए अगली बार जब कोई शांत होने के लिए कहेतो याद दिलाएं, दुर्गा यहां शांत होने नहीं, वह चीजों को दुरुस्त करने आई थीं, और आप भी.

खुद को बर्बाद करके दूसरों को नहीं बचा सकतीं

   दुर्गा रक्षक हैं, शहीद नहीं हैं. वह दूसरों के लिए लड़ती हैंलेकिन अपनी कीमत पर नहीं. वह बहुत कुछ देती हैंलेकिन खुद को कम नहीं होने देतीं. वह प्यार करती हैंलेकिन अनादर बर्दाश्त नहीं करतीं. महिलाओं को सिखाया जाता है कि वे खुद को सबसे पीछे रखें. त्याग करेंभले टूट जाए, लेकिन दुर्गा हमेशा दर्शाती हैं, कि आपको प्याले से उंडेलने के लिए नहीं बनाया गया है. आप अपने लिए नहीं लड़तीं. इसलिए अपनी सीमाओं के लिए माफ़ी मांगना बंद करें, खुद को चुनने के लिए दोषी महसूस करना बंद करें, क्योंकि दुर्गा दूसरों के लिए खुद को नहीं जलातीं. वह अपनी शक्ति से खड़ी हैं, ताकि दूसरों को उठा सकें.

शक्ति हमेशा आपकी थी

आप मंदिर में रखी देवीधर्मग्रंथों की कोई कहानीया साल में एक बार मनाया जाने वाला पर्व नहीं हैं. देवी आपके भीतर हैं. याद किए जाने की प्रतीक्षा में. आप जब अपने लिए खड़े होते हैंतो उनकी शक्ति का संचार करते हैं, पीछे हटने से इनकार करते हैंतो आप अपने भीतर उनकी उपस्थिति का सम्मान करते हैं. जब आप अनुमति की प्रतीक्षा के बजाय जीवन पर नियंत्रण रखते हैं. तब आप वैसे ही जीते हैं जैसे वह जीती हैं, अब समय आ गया है कि आप अपने भीतर की शक्ति को जगाएं?, दुनिया में बहुत-सी महिलाएं हैं, जो शांतसहज और अपनी शक्ति से डरती हैं. अब ज़रूरत है खुद को याद रखने की.