National Cancer Awareness Day 2025: भारत में हर वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के महत्व के बारे में जागरूक करना है. यह दिवस नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक मैडम क्यूरी के जन्मदिन पर मनाया जाता है. उन्होंने रेडियम और पोलोनियम की खोज की थी, जिससे रेडियोथेरेपी जैसे विकिरण-आधारित कैंसर उपचारों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सका. इस दिवस की शुरुआत 7 नवंबर 2014 को हुई थी, जो लोगों को स्वस्थ जीवन अपनाने, तंबाकू और शराब से बचने तथा नियमित स्वास्थ्य परीक्षण के लिए प्रेरित करता है. इस दिवस पर आइये जानते हैं भारत में कैंसर जागरूकता की स्थिति, थीम, चुनौतियों, एवं कुछ चौंकाने वाले फैक्ट आदि के बारे में...
भारत में कैंसर की स्थिति
भारत में कैंसर की स्थिति चिंताजनक है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 14 लाख नये मामले आ रहे हैं. वर्तमान में कैंसर का जोखिम 11 प्रतिशत बताया जा रहा है. पुरुषों में अमूमन फेफड़े, सिर और गर्दन का कैंसर, महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा तथा बच्चों में लिम्फोइड ल्यूकेमिया के कैंसर के मामले हैं. 2022 में इसके करीब 14.6 लाख से अधिक मामले प्रकाश में आए. 2024 यह दर 15.6 लाख तक बढ़ी. वर्तमान में हर 10 में से एक से अधिक व्यक्ति को कैंसर का खतरा बताया जा रहा है. भारत में कैंसर के उच्च जोखिम वाले राज्यों में मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा प्रमुख हैं. जागरूकता की कमी, निर्धनता और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी के कारण रोग का पता देर से चलता है, जिससे ना केवल उपचार कठिन होता है, बल्कि कैंसर से मृत्यु-दर भी बढ़ जाती है. यह भी पढ़ें : Vaikuntha Chaturdashi 2025 Messages: बैकुंठ चतुर्दशी के इन हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता 2025 की थीम (National Cancer Awareness Day)
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 2025 की थीम ‘यूनाइटेड बाय यूनिक’ है. अर्थात कैंसर से लड़ने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, साथ ही व्यक्तिगत, रोगी-केंद्रित देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है.
कैंसर के मुख्य कारण
धूम्रपान और तंबाकू: सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, या पान मसाला का सेवन मुंह, फेफड़े, गले और पेट के कैंसर का कारण बन सकता है.
अत्यधिक शराब: अत्यधिक शराब पीने से श्वास नली, भोजन नली और तालु का कैंसर हो सकता है.
अनहेल्दी भोजन: ज्यादा नमक, तले भोजन, प्राकृतिक रेशे युक्त खाद्य पदार्थों (फल-सब्जियां) की कमी से बड़ी आंतों का कैंसर हो सकता है.
निष्क्रिय जीवन शैली: ज़्यादा वज़न और निष्क्रिय जीवन से स्तन, प्रोस्टेट और फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
तेज धूप: तेज धूप में रहने से त्वचा त्वचा कैंसर हो सकता है.
पर्यावरणीय कारक: एस्बेस्टस, कीटनाशक और वायु प्रदूषण जैसे रसायन भी कैंसर कारक हो सकता है.
जैविक कारक: कुछ वायरस (HPV) और बैक्टीरिया कैंसर कारक हो सकते हैं.
पारिवारिक इतिहास: परिवार में किसी को कैंसर हो तो उसका असर संतान पर भी पड़ सकता है.
संभावित समाधान
जन जागरण: लोगों को कैंसर के लक्षणों और जोखिमों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है.
जांच और शीघ्र निदान: नियमित जांच और स्क्रीनिंग कैंसर के शुरुआती निदान में मदद कर सकती है.
स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सेवा के अंतर को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कम करने के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाना आवश्यक है.
जागरूकता की बड़ी चुनौतियां
मिथक और डर: बहुत से लोग आज भी मानते हैं कि कैंसर ‘संक्रामक’ है या ‘इसका इलाज नहीं होता’. इस कारण मरीज इलाज से डरते हैं.
नियमित जांच की कमी: लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते, जब तक दर्द असहनीय न हो जाए.
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: आज अधिकांश शहरों में कैंसर सेंटर हैं, पर गांवों में जांच और इलाज के साधन काफी सीमित हैं.
भावनात्मक और सामाजिक कलंक: बहुत-सी जगहों पर कैंसर पीड़ितों के प्रति सहानुभूति की बजाय दूरी का सामना करना पड़ता है।













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