Mahalaya 2025: कब और क्यों मनाया जाता है महालया? जानें इसके इतिहास एवं महात्म्य आदि के बारे कुछ अनछुई बातें!

   महालया एक हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व हैजो पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के अंतिम दिन मनाया जाता है. यह दिवस पूर्वजों को स्मरण करने और उनके लिए तर्पण/श्राद्ध करने का विशेष महत्व रखता है. महालया पितरों की विदाई और आदि शक्ति दुर्गा के आगमन की बीच की कड़ी है. कहने का आशय यह कि महालय के साथ ही आश्विन शुक्ल पक्ष नवरात्रि की शुरुआत होती है, वहीं बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के प्रारंभिक संकेत के रूप में देखा जाता है. इस वर्ष 21 सितंबर 2025, रविवार को महालया की शुरुआत हो रही है. आइये जानते हैं महालया के महत्व और इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां.

महालय का इतिहास

  पौराणिक कथाओं के अनुसारब्रह्माविष्णु और महेश्वर (भगवान शिव) ने राक्षस राजा महिषासुर से युद्ध करने के लिए शक्ति (देवी दुर्गा) की रचना की थी. माना जाता है कि देवी दुर्गा महालय में अपने पैतृक निवास पर आती हैं. देवी दुर्गा को महिषासुर से युद्ध करने में लगभग नौ दिन लगे और नौवें दिन उन्होंने महिषासुर का संहार कियाजिसके साथ ही नवरात्रि और दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई. यह भी पढ़ें : Vishwakarma Puja 2025 Invitation Card: प्रियजनों के साथ मनाएं विश्वकर्मा पूजा का पर्व, ये इनविटेशन कार्ड भेजकर उन्हें करें इनवाइट

महालया का महत्व:

महालया के महत्व को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है.

कब मनाया जाता है महालया?

महालया आश्विन माह की अमावस्या (सितंबर या अक्टूबर माह) को मनाया जाता है. यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसके पश्चात ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है.

पितरों का तर्पणसर्वपित्री दर्श अमावस्या (महालया) के दिन लोग अपने पूर्वजों को जलदानपिंडदान, तिल दान और श्राद्ध कर्म करते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति हो.

दुर्गा पूजा की शुरुआत: पश्चिम बंगाल में महालया के दिन देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन की शुरुआत माना जाता है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व यानी भोर काल से ही संपूर्ण पश्चिम बंगाल में महिषासुर मर्दिनी की काव्य कथा (संस्कृत के श्लोक रूप में) का पाठ और गायन किया जाता है, जिसका श्रवण भारी संख्या में देवी भक्त करते हैं.

पारंपरिक पूजा और अनुष्ठान: महालया के दिन सुबह-सवेरे लोग गंगा स्नानव्रतऔर पूजा-पाठ जैसे आध्यात्मिक कर्म में लिप्त रहते हैं. लोग माँ दुर्गा के आगमन की तैयारियों में व्यस्त रहते हैं.

महालय का मुख्य केंद्र बंगालः महालया के दिन संपूर्ण बंगाल में रेडियो पर महिषासुर मर्दिनी नामक एक प्रसिद्ध ऑडियो कार्यक्रम सूर्योदय पूर्व से प्रसारित होने लगता हैजिसमें चंडी पाठ और देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन होता है. साल 1931 से चल रही इस परंपरा का आनंद बंगाल में लाखों लोगों द्वारा किया जाता है.