
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के शुभ विवाह का प्रतीक माना जाता है. यह पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, उत्तर भारत में इसे फाल्गुन महीने में और दक्षिण भारत में माघ महीने में मनाने की परंपरा है. यह पर्व आध्यात्मिक और पौराणिक दृष्टि से बेहद खास है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव ने अपना तांडव नृत्य किया था, जो सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार का प्रतीक है.
इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, ध्यान लगाते हैं और शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं.
व्रत और पूजा विधि
महाशिवरात्रि से एक दिन पहले श्रद्धालु केवल एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. व्रत के दिन सुबह स्नान कर शिव पूजा का संकल्प लिया जाता है. दिनभर उपवास रखकर "ॐ नमः शिवाय" का जाप किया जाता है. शाम को भक्त स्नान कर मंदिरों में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. यह पूजा चार प्रहरों में की जाती है, जिसमें जल, दूध, बिल्वपत्र और अन्य पवित्र सामग्री अर्पित की जाती है.
रात्रि जागरण के दौरान शिव महापुराण का पाठ किया जाता है और भजन-कीर्तन से मंदिरों में भक्तिमय माहौल बना रहता है. महाशिवरात्रि का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद और चतुर्दशी तिथि समाप्त होने से पहले पारण किया जाता है.
आध्यात्मिक महत्व
महाशिवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और साधना का पर्व है. इस दिन किया गया उपवास और जागरण शिव शक्ति से जुड़ाव बढ़ाने वाला माना जाता है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है.