Diwali Special: साल में 9 दिन ही खुलता है हसनंबा मंदिर, 1 वर्ष पहले चढ़ाए फूल मिलते हैं ताजा

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर : भारत के अलग-अलग राज्यों में कई ऐसे छोटे-बड़े मंदिर हैं, जो अपनी दिव्य मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं. कर्नाटक में ऐसा ही एक मंदिर है, जो सिर्फ साल में 9 दिन ही खुलता है और यहां जाकर भक्त लिखित में अपनी मनोकामना रखते हैं. कर्नाटक के हासन जिले में हसनंबा मंदिर (Hasanamba Temple) है, जिसकी मान्यता पूरे देश में है. इस मंदिर को भगवान शिव और मां पार्वती के कई रूपों से जोड़ा गया है. कहा जाता है कि राक्षस अंधकासुर को अदृश्य होने का वरदान था. असुर को ये वरदान ब्रह्मा जी की घोर तपस्या के बाद मिला था. अदृश्य होने की वजह से असुर ने उत्पाद मचाना शुरू कर दिया. उसने संतों और ब्राह्मणों को अपना निशाना बनाया. ऐसे में असुर का अंत करने के लिए भगवान शिव ने अपनी शक्तियों से योगेश्वरी को बुलाया, जिन्होंने असुर का नाश किया.

भगवान शिव की शक्ति से उत्पन्न हुई योगेश्वरी शक्तियों में वाराही, इंद्राणी, चामुण्डी, ब्राह्मी, महेश्वरी, कौमारी और वैष्णवी आईं. ऐसे में देवियों को स्थान भी देना था तब देवियों ने हासन को अपना स्थान चुना और वहीं बस गईं. हसनंबा मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि ये मंदिर सिर्फ 7 से 9 दिनों तक दिवाली के समय खुलता है और बाकी दिन बंद रहता है. मंदिर जब भी खुलता है, तब भक्तों की भीड़ मां के दर्शन के लिए पहुंचती है. कहा जाता है कि मंदिर 12वीं शताब्दी में होयसल वंश ने बनवाया था. मंदिर में चिट्ठी देकर मनोकामना देने की भी अनोखी परंपरा है. यह भी पढ़ें : Mysterious Shiva Temples: दक्षिण भारत में बसे भगवान शिव के प्राचीन मंदिर, दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है मुराद

दिवाली के समय मंदिर में हर साल 'हसनंबा महोत्सव' होता है जिसमें भक्त अपनी अर्जी को चिट्ठी के रूप में भगवान को अर्पित करते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई मुराद हमेशा पूरी होती है और धन-धान्य और सुख-संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है. माना जाता है कि दिवाली के समय मंदिर में दीया जलाया जाता है और अंदर से मंदिर को फूलों से सजाया जाता है. जब मंदिर को अगले साल खोला जाता है तो दीया जलता हुआ मिलता है और फूल भी बिल्कुल ताजा रहते हैं. इसी चमत्कार को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.