Face and Fingerprint UPI Payments: भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और ज्यादा आधुनिक और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने अब यूपीआई (Unified Payments Interface) में फिंगरप्रिंट और फेस रिकग्निशन के जरिए पेमेंट की मंजूरी देने का नया फीचर लॉन्च किया है. इसका मतलब यह है, कि अब आपको हर बार ट्रांजैक्शन करते समय पिन (PIN) डालने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि आप अपने फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन से ही भुगतान की पुष्टि कर सकेंगे.
यह बदलाव डिजिटल पेमेंट को और तेज़, आसान और सुरक्षित बनाने की दिशा में किया गया है. एनपीसीआई ने अपने 7 अक्टूबर के सर्कुलर में बताया कि अभी तक यूपीआई ट्रांजैक्शन की पुष्टि के लिए यूजर को 4 या 6 अंकों का यूपीआई पिन डालना जरूरी होता था, लेकिन अब यूजर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (Biometric Authentication) का विकल्प चुन सकते हैं. यह सुविधा पूरी तरह वैकल्पिक (Optional) है, यानी यूजर चाहें तो पुराना पिन सिस्टम भी जारी रख सकते हैं.
क्या है ऑन-डिवाइस बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन?
अब यूपीआई यूजर्स के लिए पेमेंट करना और भी आसान हो जाएगा. वे अपने स्मार्टफोन के फिंगरप्रिंट या फेस लॉक सिस्टम के जरिए सीधे ट्रांजैक्शन को मंजूरी दे सकेंगे. इस नए फीचर में मोबाइल के इनबिल्ट सिक्योरिटी सिस्टम जैसे फिंगरप्रिंट स्कैनर या फेस अनलॉक का उपयोग किया जाएगा, जिससे अब हर बार यूपीआई पिन डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
हालांकि, इस सुविधा का इस्तेमाल करने से पहले यूजर को अपनी सहमति (Consent) देनी होगी. साथ ही, अगर यूजर चाहे तो वह इस फीचर को कभी भी बंद या दोबारा चालू कर सकता है. यह पूरी तरह से यूजर की पसंद पर निर्भर रहेगा.
आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन क्या है?
एनपीसीआई ने अब आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन की सुविधा भी शुरू की है. इसका मतलब है, कि अगर आपका बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक है, तो आप अब फेस रिकग्निशन (चेहरा स्कैन) के जरिए अपना यूपीआई पिन सेट या रीसेट कर सकते हैं. यानी अब आपको ओटीपी (OTP) या डेबिट कार्ड डिटेल्स डालने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ अपने चेहरे की पहचान से ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. यह कदम ग्राहकों के लिए प्रक्रिया को तेज़, सरल और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है.
नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
अब यूपीआई यूजर्स के पास भुगतान की मंजूरी देने के लिए दो आसान विकल्प होंगे. पहला तरीका पहले की तरह रहेगा, जिसमें यूजर को ट्रांजैक्शन करते समय यूपीआई पिन डालना होगा, जबकि दूसरा नया तरीका होगा - फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन के जरिए भुगतान की अनुमति देना. यानी अब आप अपने मोबाइल के बायोमेट्रिक सिस्टम से भी पेमेंट को मंजूर कर पाएंगे. यह नई सुविधा आधार के बायोमेट्रिक डेटा से जुड़ी होगी, जिससे सुरक्षा और भी मजबूत होगी. शुरुआत में इस फीचर का इस्तेमाल 5,000 रुपये तक के लेन-देन के लिए किया जा सकेगा, और आगे चलकर इस सीमा को जरूरत और उपयोग के आधार पर बढ़ाया जा सकता है.
क्या इससे यूपीआई भुगतान और बेहतर होगा?
विशेषज्ञों का कहना है, कि बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की शुरुआत से यूपीआई पेमेंट्स और भी तेज़, आसान और सुरक्षित हो जाएंगे. अब यूजर्स को हर बार पिन याद रखने या गलत डालने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा. यह बदलाव खास तौर पर बुजुर्गों और ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा, क्योंकि उन्हें अक्सर पिन याद रखने में दिक्कत होती है. इसके साथ ही, पिन चोरी या लीक होने का खतरा भी काफी हद तक खत्म हो जाएगा, क्योंकि किसी व्यक्ति का फिंगरप्रिंट या फेस डेटा कॉपी या हैक करना बेहद कठिन होता है.
क्या होंगे इसके फायदे?
इस नए फीचर से यूपीआई यूजर्स को कई बड़े फायदे मिलेंगे. अब हर बार पिन डालने की जरूरत नहीं होगी, जिससे पेमेंट प्रक्रिया और तेज़ हो जाएगी. पिन भूलने या गलत डालने की दिक्कत भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी. इसके अलावा, सुरक्षा में बड़ा सुधार होगा, क्योंकि बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन) को चोरी या हैक करना लगभग असंभव है. इससे लेन-देन फेल होने की संभावना घटेगी, और खासतौर पर बुजुर्गों व कम पढ़े-लिखे यूजर्स के लिए डिजिटल पेमेंट करना और भी आसान व सुविधाजनक हो जाएगा.
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
रिपोर्ट के अनुसार, कई विशेषज्ञों का मानना है कि फिंगरप्रिंट या फेस रिकग्निशन के जरिए डिजिटल पेमेंट्स को मंजूरी देना निश्चित रूप से सुविधा और सुरक्षा दोनों को बढ़ाएगा. इससे न केवल लेन-देन तेज़ और आसान होगा, बल्कि धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आने की संभावना है.
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह चेतावनी भी दी है, कि इस तकनीक के साथ यूजर्स की प्राइवेसी (गोपनीयता) और डेटा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की अनदेखी नहीं की जा सकती. इस नई व्यवस्था में सख्त कानूनी नियमों और निगरानी की आवश्यकता होगी, ताकि किसी भी तरह के डेटा दुरुपयोग को रोका जा सके. इसके साथ ही, सरकार और नियामक संस्थाओं को पारदर्शिता, जवाबदेही और मजबूत डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, ताकि आम लोगों का भरोसा इस नई तकनीक पर पूरी तरह बना रहे.
एनपीसीआई ने जारी किए सुरक्षा दिशानिर्देश
यूपीआई ऐप्स और बैंकों के लिए एनपीसीआई के नए सुरक्षा नियम:
- ग्राहक की स्पष्ट अनुमति (Consent) लेना अनिवार्य होगा.
- यूजर कभी भी इस फीचर को ऑफ या ऑन कर सकता है.
- रूटेड या जेलब्रोकन डिवाइस पर यह सुविधा काम नहीं करेगी.
- बैंक को बायोमेट्रिक एक्टिवेशन से पहले यूजर की पहचान की पुष्टि करनी होगी.
- अगर यूजर यूपीआई पिन बदलता या रीसेट करता है, तो बायोमेट्रिक तरीका तब तक निष्क्रिय (Disabled) रहेगा जब तक यूजर दोबारा अनुमति नहीं देता है.
- हर साल सिक्योरिटी की रोटेशन (Key Rotation) करना जरूरी होगा.
- अगर यूजर ने 90 दिन तक कोई बायोमेट्रिक ट्रांजैक्शन नहीं किया, तो यह फीचर स्वतः निष्क्रिय हो जाएगा.
यह सभी नियम सुनिश्चित करते हैं, कि बायोमेट्रिक पेमेंट फीचर सुरक्षित, पारदर्शी और यूजर-केंद्रित बना रहे.
भारतीय रिजर्व बैंक की पहल के तहत बड़ा बदलाव
यह कदम भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हाल ही में लिए गए फैसले के बाद आया है, जिसमें ट्रांजैक्शन ऑथेंटिकेशन के वैकल्पिक तरीके अपनाने की अनुमति दी गई थी. इस पहल से भारत की डिजिटल पेमेंट प्रणाली एक नए और सुरक्षित दौर में प्रवेश कर रही है. नई सुविधा से यूपीआई उपयोगकर्ताओं को और तेज़, आसान और सुरक्षित पेमेंट अनुभव मिलेगा.
हालांकि, इस बदलाव की सफलता के लिए डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर नियामकों की सख्ती और पारदर्शिता बेहद अहम होगी, ताकि उपयोगकर्ताओं का विश्वास और भरोसा इस नई तकनीक पर बनाए रखा जा सके.













QuickLY