राज और उद्धव ठाकरे की महाराष्ट्र चुनाव आयोग से मांग, मतदान बैलेट पेपर से हो, मतदाता सूची सुधार तक BMC सहित सभी निकाय चुनाव स्थगित किए जाएं
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मुंबई: महाराष्ट्र में बीएमसी (BMC)  सहित सभी नगर निकायों के चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग (Maharashtra Election Commission) को 31 जनवरी, 2026 से पहले सभी लंबित निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है. लेकिन इस बीच, राज ठाकरे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख) और उद्धव ठाकरे (शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख) ने चुनाव आयोग से चुनाव टालने और बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग की है.

ठाकरे परिवार की मांग

ठाकरे परिवार के दोनों नेताओं ने मांग की है कि जब तक मतदाता सूची में गड़बड़ियों को ठीक नहीं किया जाता, तब तक बीएमसी सहित सभी स्थानीय निकायों के चुनाव स्थगित किए जाएं. यह भी पढ़े: VIDEO: BMC चुनाव से पहले सीएम फडणवीस का उद्धव ठाकरे पर तंज, पुराने रिश्तों की याद दिलाते हुए गाया गीत ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही…

बैठक में विपक्ष ने उठाए सवाल

दरअसल, बीएमसी और अन्य नगर निकाय चुनाव को लेकर हाल ही में राज्य चुनाव आयोग की विपक्षी दलों के साथ एक बैठक हुई. बैठक में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मिलकर आयोग के समक्ष अपनी आपत्तियाँ रखीं. राज ठाकरे ने कहा:"पिछले पांच वर्षों से चुनाव नहीं हुए, तो अब दो महीने और रुक जाने से क्या फर्क पड़ेगा?"बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) का पिछला चुनाव वर्ष 2017 में हुआ था, और उसका कार्यकाल 2022 में समाप्त हो गया. अब चुनावों में पहले ही 4–5 साल की देरी हो चुकी है.

VVPAT को लेकर उद्धव की चिंता

उद्धव ठाकरे ने VVPAT (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा:"क्या यह सब सबूत मिटाने के लिए किया जा रहा है?"

विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से दो टूक सवाल किए

मंगलवार और बुधवार को हुए दो दौर की बैठकों में विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव अधिकारी एस. चोकलिंगम से मंत्रालय में मुलाकात की. इस दौरान शरद पवार, जयंत पाटील, और बाला साहेब थोराट जैसे वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे.

 राज ठाकरे ने बैठक में बीजेपी- शिंदे-एनसीपी पर बोला हमला

बैठक में राज ठाकरे ने चुनाव आयोग और सत्ताधारी महायुति गठबंधन (भाजपा, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना) पर परोक्ष हमला बोलते हुए कहा "क्या आप इन तीन दलों के लिए काम कर रहे हैं?" उन्होंने कहा कि जब तक सभी दलों की आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया जाता और समाधान नहीं होता, तब तक चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए.