Indigo Crisis: सरकार का इंडिगो पर बड़ा एक्शन; उड़ानों में 10% की कटौती, एविएशन मंत्री से मिले एयरलाइन के CEO
Indiago Flight | PTI

नई दिल्ली: घरेलू हवाई यात्रियों को आने वाले दिनों में भी कम उड़ानों का सामना करना पड़ेगा. DGCA ने इंडिगो एयरलाइंस के शीतकालीन शेड्यूल में 10 प्रतिशत की कटौती का आदेश दिया है, जो पहले उसी दिन जारी किए गए 5 प्रतिशत कट से दोगुना है. इंडिगो रोजाना करीब 2,200 घरेलू उड़ानें संचालित करती थी. 10 प्रतिशत कटौती का मतलब है कि लगभग 216 उड़ानें आधिकारिक रूप से कम होंगी, लेकिन सूत्रों के अनुसार हालात संभालने के लिए एयरलाइन वास्तव में रोज सिर्फ 1,800 से 1,900 उड़ानें ही चला सकती है. इससे प्रतिदिन करीब 500 उड़ानों के रद्द होने की आशंका जताई जा रही है.

नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने मंगलवार शाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि इंडिगो के रूट्स में कटौती जरूरी थी ताकि एयरलाइन का संचालन स्थिर हो सके और लगातार हो रही कैंसिलेशन पर लगाम लगे. उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत कटौती के बावजूद इंडिगो अपने सभी गंतव्यों को कवर करती रहेगी. सरकार का मानना है कि कम उड़ानें चलाने से क्रू मैनेजमेंट और समयपालन बेहतर हो पाएगा.

मंत्रालय ने CEO को बुलाया, DGCA भी सख्त

इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स को मंगलवार को मंत्रालय में तलब किया गया. मंत्री ने बताया कि पिछले सप्ताह यात्रियों को काफी असुविधा झेलनी पड़ी, जिसकी वजह एयरलाइन के भीतर क्रू रोस्टर, उड़ान शेड्यूल और सही संवाद की कमी रही. डीजीसीए पहले ही यह कह चुका है कि इंडिगो अपने स्वीकृत शीतकालीन शेड्यूल को “कुशलता से संचालित करने की क्षमता नहीं दिखा पाई”. इसी के चलते पहले 5 प्रतिशत और फिर 10 प्रतिशत कटौती का आदेश दिया गया.

आंकड़े क्या बताते हैं

इंडिगो का समर शेड्यूल 14,158 साप्ताहिक घरेलू उड़ानों का था, जिसे 26 अक्टूबर से शुरू हुए विंटर शेड्यूल में 6 प्रतिशत बढ़ा दिया गया. इसके तहत नवंबर में 64,346 घरेलू उड़ानों को चलाने की मंज़ूरी थी, लेकिन वास्तविकता में एयरलाइन सिर्फ 59,438 उड़ानें ही चला सकी. नवंबर 2025 में 951 उड़ानें रद्द हुईं. डीजीसीए ने यह भी बताया कि एयरक्राफ्ट की उपलब्धता के अनुमान के आधार पर उड़ानों की अनुमति दी गई थी, लेकिन अक्टूबर में इंडिगो 339 और नवंबर में 344 विमान ही ऑपरेट कर पाई, जबकि अनुमान 400 से अधिक का था.

FDTL बना बड़ी वजह

असल परेशानी 1 नवंबर 2025 से लागू हुए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों से शुरू हुई. इन नियमों के तहत पायलटों की जरूरत बढ़ गई, लेकिन इंडिगो इसके लिए पर्याप्त तैयारी नहीं कर पाई. एक तरफ पायलटों की कमी, दूसरी तरफ 6 प्रतिशत ज्यादा उड़ानें. इस असंतुलन ने नवंबर में मामूली कैंसिलेशन से शुरू होकर दिसंबर के पहले हफ्ते में बड़े संकट का रूप ले लिया, जब सैकड़ों उड़ानें रोज रद्द होने लगीं.

दूसरी एयरलाइंस की स्थिति

जहां इंडिगो पर सबसे बड़ी मार पड़ी है, वहीं अन्य एयरलाइंस के शेड्यूल में अपेक्षाकृत कम बदलाव हुए. एयर इंडिया और एआई एक्सप्रेस की संयुक्त घरेलू उड़ानों में समर से विंटर में कुल मिलाकर लगभग 3 प्रतिशत की कमी आई. अकासा एयर की साप्ताहिक उड़ानें भी करीब 5.7 प्रतिशत घटीं. वहीं स्पाइसजेट, जो अपने ऑपरेशन बढ़ाने की कोशिश में है, उसकी उड़ानों में 26 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

अब सवाल सरकार पर भी

अब सवाल सिर्फ इंडिगो पर नहीं, बल्कि विमानन अधिकारियों पर भी उठ रहे हैं कि नए FDTL नियमों के बावजूद एयरलाइन को अतिरिक्त उड़ानों की मंजूरी कैसे दे दी गई. वहीं इंडिगो का कहना है कि हालात कई कारकों के एक साथ आने से बिगड़े जिसमें मामूली तकनीकी दिक्कतें, विंटर शेड्यूल में बदलाव, खराब मौसम, सिस्टम में बढ़ती भीड़ और नए क्रू रोस्टर नियम शामिल हैं.