बेंगलुरू: कर्नाटक (Karnataka) में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक संकट (Political Crisis) सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. सूबे की कांग्रेस (Congress) और जनता दल एस (जेडीएस) की गठबंधन वाली सरकार 13 विधायकों के इस्तीफे से खतरे में आ गई है. इस बीच मुंबई में रह रहे सभी बागी विधायक गोवा नहीं शिफ्ट हुए है. दरअसल पहले खबर आई थी की विधायक मुंबई से पुणे जा रहे है, हालांकि कुछ समय बाद इसे बदलकर गोवा कर दिया गया था. लेकिन वे अब वापस मुंबई में ही किसी अज्ञात स्थान पर ठहरे हुए है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार मुंबई में रह रहे कांग्रेस विधायकों ने गोवा में शिफ्ट होने की योजना बनाई थी, लेकिन वे नहीं गए और अभी मुंबई में कही रह रहे हैं. जिसका पता अभी नहीं चल सका है. उधर, बीजेपी ने मौजूदा मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से इस्तीफा मांगा है. हालांकि कुमारस्वामी का दावा है कि उनकी सरकार पर कोई खतरा नहीं है और यह मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.
Congress MLAs who are staying in Mumbai had planned to shift to Pune, later changing it to Goa. But they are now staying back at an undisclosed location in Mumbai. #Karnataka pic.twitter.com/tqEOgtCgJp
— ANI (@ANI) July 9, 2019
राज्य में सरकार बनाने और बचाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस खूब हाथपैर मार रही है. दोनों ही दलों में बैठकों का दौर जारी है. सोमवार को उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वरा ने अपने आवास पर कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों को नाश्ते पर बुलाया. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मंत्री डीके शिवकुमार, यूटी खादर, शिवशंकरा रेड्डी, वेंकटरमनप्पा, जयमाला, एमबी पाटिल, केबी गौड़ा, राजशेखर पाटिल मौजूद रहे. परमेश्वर ने सोमवार को राज्यपाल वजुभाई वाला पर आरोप लगाया कि वह राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहे हैं.
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गौरतलब हो कि कर्नाटक में 13 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कुमारस्वामी की सरकार खतरे में आ गई. गठबंधन सरकार में कांग्रेस के सभी 22 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद जेडीएस के 10 मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया. सूत्रों के हवाले से अब खबर आ रही है राज्य में अब नए सिरे से कैबिनेट का गठन किया जाएगा.
विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार यदि आज 13 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते है तो सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुमत खोने के खतरे का सामना करना पड़ सकता है. गठबंधन की सरकार में 34 मंत्री पदों में से कांग्रेस और जेडीएस के पास क्रमश: 22 और 12 मंत्री पद थे.