नई दिल्ली, 28 दिसंबर. कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और विपक्ष में घमासान शुरू है. दोनों तरफ से इस मसले पर बयानबाजी हो रही है. कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है. एनसीपी चीफ शरद पवार ने अपने एक बयान में कहा कि 30 दिसंबर को सरकार और किसानों की मीटिंग में क्या होता है वह हम देखेंगे. कोई रास्ता निकला तो खुशी होगी, नहीं निकला तो हमें बैठना होगा और सोचना होगा. इसी बीच ICAR पूसा संस्थान में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानूनों पर बोलते हुए शरद पवार और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि UPA के समय मनमोहन सिंह जी, शरद पवार जी भी चाहते थे यह कानून (कृषि कानून) बन जाए. इस बयान के बाद यह मामला अब और आगे बढनेवाला है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एक समय था हमारे पास गेंहू, धान, तिलहन का अभाव था। देश की आबादी बढ़ रही थी लेकिन हम अभाव से जूझ रहे थे। उस समय की सरकार, किसान संगठनों और वैज्ञानिकों ने प्रयास किया कि हमें देश में उत्पादन बढ़ाना चाहिए. अब हम उत्पादन में सरप्लस की स्थिति में है. उन्होंने कहा कि दुख इस बात का है कि UPA के समय मनमोहन सिंह जी, शरद पवार जी भी चाहते थे यह कानून (कृषि कानून) बन जाए. लेकिन दबाव और प्रभाव का सामना नहीं कर पाए, इस कारण वे यह कानून बनाने का यश प्राप्त नहीं कर पाए. यह भी पढ़ें-Sharad Pawar on Farmers Protest: किसानों के आंदोलन के बीच शरद पवार बोले-30 दिसंबर को कोई रास्ता निकला तो ठीक, नहीं तो हमें बैठना होगा और सोचना पड़ेगा
ANI का ट्वीट-
दुख इस बात का है कि UPA के समय मनमोहन सिंह जी, शरद पवार जी भी चाहते थे यह क़ानून (कृषि क़ानून) बन जाए। लेकिन दबाव और प्रभाव का सामना नहीं कर पाए, इस कारण वे यह क़ानून बनाने का यश प्राप्त नहीं कर पाए: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर #FarmLaws https://t.co/cWsOClRChK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 28, 2020
तोमर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा तीन कृषि क़ानूनों के सर्मथन में अनेक किसान संगठनों ने यहां पर कार्यक्रम कर जो समर्थन व्यक्त किया है मैं उसके लिए भारत सरकार की तरफ से आप सब का दिल से स्वागत करता हूं. वहीं कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और किसानों ने बीच 30 दिसंबर को फिर बातचीत होनेवाली है.