नई दिल्ली, 2 नवंबर: बिहार विधानसभा के उपचुनाव में कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल (Hardik Patel) की तिकड़ी पूरी तरह विफल रही. दरअसल उपचुनाव के नतीजों में कांग्रेस के लिए हिमाचल और राजस्थान से ही अच्छी खबर है. बिहार में कांग्रेस पूरी तरह से फेल हो रही है. गौरतलब है कि बिहार उपचुनाव से ठीक पहले ही कांग्रेस ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और गुजरात से दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mevani) को पार्टी में शामिल करवाया था. यह भी पढ़े: Bihar Bypoll Result: बिहार में महागठबंधन तोड़ने के नतीजे कांग्रेस के लिए अच्छे नहीं
इसके बाद कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल की तिकड़ी ने बिहार में दो विधानसभा सीटों पर जमकर प्रचार किया था. कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कन्हैया के स्वागत में कहा था कि बिहार की धरती कन्हैया का इंतजार कर रही है. ऐसे में कन्हैया कांग्रेस के लिए जीत का मोहरा साबित नहीं हुए. दरअसल कांग्रेस ने अपने नए नवेले स्टार प्रचारकों के जरिए बिहार विधानसभा के उपचुनाव में आरजेडी और जेडीयू को टक्कर देने की तैयारी की थी.
तीनों नेताओं के लिए पटना के सदाकत आश्रम में स्वागत समारोह आयोजित किया गया था. जिसके बाद दोनों विधानसभा की सीटों पर तीनों नेताओं ने प्रचार शुरू किया. साथ ही चौपाल भी आयोजित की गई थी. गौरतलब है कि उपचुनाव में आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के टूटने की मुख्य वजह कन्हैया कुमार को माना जा रहा है. पहले आरजेडी ने उपचुनाव की दोनों सीटों-कुशेश्वरस्थान और तारापुर पर उम्मीदवार उतार दिए. जिसके बाद कांग्रेस ने भी आरजेडी के खिलाफ अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए.
उपचुनाव में बिहार की कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस ने अतिरेक कुमार और तारापुर विधानसभा सीट से राजेश कुमार उम्मीदवार बनाया. जिसके साथ ही ये तय हो गया था कि बिहार में महागठबंधन अब एकजुट होकर नहीं बल्कि आपस में ही मुकाबला करेंगे. उल्लेखनीय है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे कन्हैया कुमार और गुजरात से दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी, दोनों हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वहीं हार्दिक पटेल पहले की कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
फिलहाल वह गुजरात में कार्यकारी अध्यक्ष हैं. गौरतलब है कि गुजरात के पाटीदार आंदोलन में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने अहम भूमिका निभाई थी. जिसके बाद ही हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं, अल्पेश ठाकोर बीजेपी में चले गए. पर जिग्नेश मेवाणी ने अभी तक कोई समझौता नहीं किया था और वह लगातार भाजपा से लड़ते रहे हैं.