गठबंधन धर्म का पालन बेहद जरूरी... बीजेपी से तनाव की चर्चा के बीच एकनाथ शिंदे का बड़ा बयान
Eknath Shinde | X

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप के बीच उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने साफ कर दिया है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच किसी तरह का विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच तालमेल बना हुआ है और किसी तरह के तनाव की बातें केवल अफवाह हैं. शिंदे ने जोर देकर कहा कि चुनावों के इस दौर में "गठबंधन धर्म" का पालन करना बेहद जरूरी है.

कुछ दिनों से यह चर्चा थी कि बीजेपी शिवसेना के स्थानीय नेताओं को अपने पक्ष में ले रही है. इसी मुद्दे पर शिंदे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत की. उन्होंने बताया कि सीएम ने आश्वासन दिया कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए वह अपनी पार्टी के नेताओं से बात करेंगे.

शिंदे ने कहा, “हम गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. आने वाले समय में लोकसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो गलतफहमी या नुकसान पहुंचाए. गठबंधन धर्म हम सभी को निभाना होगा.”

स्थानीय चुनावों से पहले बढ़ती तनातनी

महाराष्ट्र के 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव दिसंबर में होने थे, लेकिन प्रक्रियागत चूक और अदालतों में चल रहे मामलों के चलते कई जगह चुनाव स्थगित हो गए. इसी बीच सिंधुदुर्ग में बीजेपी और शिवसेना के स्थानीय नेताओं के बीच खींचतान खुलकर सामने आई. यहां बीजेपी समर्थक के घर में घुसने और कैश बरामद करने के आरोप में शिवसेना के विधायक निलेश राणे के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की.

इस मुद्दे से बीजेपी और शिवसेना के रिश्तों में और तनाव पैदा हुआ, जहां निलेश राणे के भाई और मंत्री नितेश राणे ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक कार्यकर्ता वैध कारोबार करते हैं और घर पर नकदी रखना गलत नहीं माना जा सकता.

पुरानी बातें और नई बहसें

इन विवादों के बीच शिवसेना (UBT) के कुछ कार्यकर्ताओं ने फिर यह सवाल उठा दिया कि आखिर शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे सरकार से अलग होने का फैसला क्यों लिया था. क्या सच में अन्याय हुआ था? इससे फिर एक बार पुराने घाव कुरेदे गए और गठबंधन की असहजता चर्चा में आ गई.

 

कैबिनेट मीटिंग छोड़ने पर भी उठे सवाल

कुछ सप्ताह पहले शिवसेना (शिंदे गुट) के मंत्रियों ने कैबिनेट मीटिंग से दूरी बनाई थी, क्योंकि बीजेपी ने दो ऐसे नेताओं को शामिल किया था जिन्होंने पहले शिवसेना उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा था. यह घटना भी गठबंधन के भीतर खटपट की ओर इशारा करती है.