New Labour Laws 2025: देश के श्रम कानूनों (Labour Laws) में दशकों बाद सबसे बड़ा बदलाव लागू हो चुका है. 21 नवंबर से नए लेबर कोड प्रभावी हो गए हैं, जिनका असर संगठित से लेकर असंगठित क्षेत्र तक हर कर्मचारी पर पड़ेगा. चार नए कोड- कोड ऑन वेजेज 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड 2020, और सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 न केवल नियम आसान बनाते हैं, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा और भविष्य को भी मजबूत करते हैं.
ये बदलाव वर्कर्स की सुरक्षा, वेतन की पारदर्शिता, सोशल सिक्योरिटी, और जॉब स्टेबिलिटी को मजबूत करते हैं. आइये जानते हैं नए लेबर लॉ 2025 से क्या-क्या बदलने वाला है.
Gratuity Rule Change: अब 5 नहीं 1 साल की नौकरी पर मिलेगी ग्रेच्युटी, इन कर्मचारियों को मिलेगा फायदा.
न्यूनतम वेतन की गारंटी: अब हर कर्मचारी को मिलेगा हक
नए लेबर कोड का सबसे बड़ा बदलाव न्यूनतम वेतन की गारंटी है. अब चाहे कर्मचारी संगठित क्षेत्र में हो या असंगठित में, सभी को गैर-भेदभावपूर्ण न्यूनतम वेतन मिलेगा. केंद्र सरकार एक नेशनल फ्लोर वेज भी तय करेगी, जिससे कोई भी राज्य उससे कम वेतन तय नहीं कर पाएगा. इससे देशभर में वेतन में समानता आएगी और लाखों मजदूरों को सीधा लाभ मिलेगा.
बेसिक पे होगा 50%
नियमों में वेतन की परिभाषा भी बदल दी गई है. अब कुल वेतन का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक पे होगा. इससे PF और ग्रेच्युटी में कटौती बढ़ेगी और कर्मचारियों का टेक-होम सैलरी थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में यह उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग को मजबूत बनाएगा और सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स बढ़ाएगा.
गिग वर्कर्स की भी होगी सुरक्षा
पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारियों जैसे डिलीवरी पार्टनर, राइड-हेलिंग ड्राइवर और फ्रीलांसर को सोशल सिक्योरिटी के दायरे में शामिल किया गया है. कंपनियों को एक विशेष फंड में योगदान करना होगा, जिसके जरिए उन्हें इंश्योरेंस, हेल्थ सपोर्ट और अन्य सुविधाएं मिलेंगी. यह बदलाव डिजिटल दुनिया में तेजी से बढ़ती वर्कफोर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
अब सिर्फ 1 साल में मिलेगी ग्रेच्युटी, 5 साल की शर्त खत्म
सबसे राहत देने वाले बदलावों में एक ग्रेच्युटी अब सिर्फ 1 साल की नौकरी के बाद भी मिलेगी. पहले इसकी पात्रता के लिए 5 साल की निरंतर सेवा जरूरी थी. फिक्स्ड-टर्म कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट-बेस्ड कर्मचारियों के लिए यह बड़ा आर्थिक सहारा साबित होगा.
जॉइनिंग लेटर अब अनिवार्य
अब हर कर्मचारी को कंपनी जॉइन करते समय औपचारिक नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. इससे नौकरी की सुरक्षा, जिम्मेदारियों और वेतन से जुड़ी अस्पष्टता खत्म होगी और कर्मचारियों के अधिकार और मजबूत होंगे.
ओवरटाइम पर दोगुना वेतन, छुट्टी मिलना आसान
ओवरटाइम पर दोगुना वेतन दिया जाएगा. सालाना पेड लीव की पात्रता 240 दिनों से घटाकर 180 दिन कर दी गई है, यानी कर्मचारी जल्दी छुट्टी का हकदार होंगे.
महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की अनुमति, सुरक्षा होगी सुनिश्चित
महिलाएं अब किसी भी सेक्टर में नाइट शिफ्ट कर सकती हैं, बशर्ते वे सहमति दें और नियोक्ता सुरक्षित परिवहन व सुरक्षा की व्यवस्था करें. इसके अलावा वेतन में जेंडर-आधारित भेदभाव को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है.
वर्क फ्रॉम होम को मिली कानूनी पहचान
महामारी के बाद वर्क फ्रॉम होम एक नई जरूरत बन गया था. अब इसे आधिकारिक रूप से मान्यता मिल गई है. कंपनियां और कर्मचारी आपसी सहमति से WFH व्यवस्था कर सकेंगे. खासकर सर्विस सेक्टर में यह सुविधा बड़े पैमाने पर लागू होगी.
40 वर्ष से अधिक आयु वाले कर्मचारियों के लिए फ्री हेल्थ चेकअप
नए नियमों के अनुसार 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी कर्मचारियों को कंपनी की ओर से साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण मिलेगा. यह कदम लाइफस्टाइल बीमारियों की शुरुआती पहचान और रोकथाम में अहम भूमिका निभाएगा.
समय पर वेतन भुगतान अब अनिवार्य
वेतन चक्र को भी नियमबद्ध कर दिया गया है. मासिक वेतन वाले कर्मचारियों को हर महीने 7 दिनों के भीतर वेतन मिलेगा. नौकरी छोड़ने पर कर्मचारी को 2 कार्यदिवस के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा. यह सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारियों को कभी भुगतान में देरी का सामना न करना पड़े.
यात्रा के दौरान हादसा भी ‘वर्कप्लेस एक्सीडेंट’ माना जाएगा
अब घर से दफ्तर जाने या लौटने के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं भी रोजगार से संबंधित दुर्घटना मानी जाएंगी. इससे मुआवजे और बीमा लाभ मिलना आसान होगा.













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