नई लेबर कोड के बाद 5 से 20 लाख CTC पर कितनी बचेगी इन-हैंड सैलरी? यहां जानें पूरा हिसाब
CTC Structure Change

New Labour Codes: देश में 21 नवंबर 2025 से नए लेबर कोड लागू हो चुके हैं, जिसके बाद कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. अब तक ज्यादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों के कुल सीटीसी (CTC) का लगभग 30–40% हिस्सा बेसिक पे (Basic Pay) के रूप में देती थीं, लेकिन नए नियम के तहत बेसिक सैलरी को सीटीसी का कम से कम 50% रखना अनिवार्य कर दिया गया है.

क्या बदलेगा नए नियम से?

इस बदलाव का सीधा असर कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी पर पड़ेगा. चूंकि कुल सीटीसी पहले जैसा ही रहेगा, इसलिए बेसिक बढ़ने के साथ पीएफ (PF), ग्रेच्युटी और एनपीएस (NPS) में योगदान भी बढ़ जाएगा, जिससे मासिक हाथ में आने वाली सैलरी कम हो जाएगी.

उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी का पहले बेसिक पे 40% था, तो अब उसे 50% तक बढ़ाना अनिवार्य होगा. हालांकि जिन कंपनियों में पहले से ही बेसिक 50% है, वहां किसी तरह का बदलाव नहीं होगा.

वहीं, जिन कंपनियों में पीएफ सिर्फ 1800 रुपये फिक्स राशि के रूप में कटता है, वहां कर्मचारियों को इन-हैंड सैलरी में खास कमी महसूस नहीं होगी. कई कंपनियां ग्रेच्युटी को पहले से ही सीटीसी में शामिल करती हैं, लेकिन कर्मचारी को यह रकम तभी मिलती है जब वह पांच साल की सेवा पूरी कर ले. एनपीएस भी सभी कंपनियों में अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसे अपनाने वाली कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

इन-हैंड सैलरी पर कितना असर?

उदाहरण: सीटीसी = 5 लाख रुपये प्रति वर्ष

विवरण पहले 21 नवंबर 2025 से
बेसिक पे 40% = 2,00,000 रुपये 50% = 2,50,000 रुपये
पीएफ कटौती 48,000 रुपये 60,000 रुपये
ग्रेच्युटी 9,620 रुपये 12,025 रुपये
एनपीएस 28,000 रुपये 35,000 रुपये
इन-हैंड पे 4,14,380 रुपये 3,92,975 रुपये

(वास्तविक सैलरी कंपनी के हिसाब से अलग हो सकती है)

कर्मचारियों के लिए फायदे और नुकसान

नए लेबर कोड का असर कर्मचारियों पर दो तरह से दिखाई देगा. लंबे समय में यह बदलाव फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि अब पीएफ और एनपीएस में पहले से ज्यादा रकम जमा होगी, जिससे रिटायरमेंट के लिए मजबूत फंड तैयार हो सकेगा और टैक्स बचत भी बढ़ेगी. लेकिन दूसरी ओर, तुरंत प्रभाव में कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी, क्योंकि बेसिक पे बढ़ने के साथ कटौतियों की राशि भी बढ़ जाएगी. इसलिए यह बदलाव अल्पकाल में थोड़ी परेशानी दे सकता है, लेकिन भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से यह कदम कर्मचारियों के लिए लाभकारी माना जा रहा है.

किस पर लागू होंगे नए नियम?

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार, नए लेबर कोड संगठित और असंगठित दोनों सेक्टर्स के सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों पर लागू होंगे. इसी कारण देशभर की कंपनियाँ अब नए नियमों के अनुसार अपने कर्मचारियों की सैलरी संरचना को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं.

यह नया लेबर कोड कर्मचारियों की लंबी अवधि की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा. बेसिक पे बढ़ने से पीएफ और एनपीएस में अधिक राशि जमा होगी, जिससे रिटायरमेंट के लिए बड़ा और सुरक्षित फंड तैयार किया जा सकेगा. हालांकि, इसका तात्कालिक प्रभाव कर्मचारियों की मासिक इन-हैंड सैलरी पर जरूर पड़ेगा, क्योंकि बढ़े हुए बेसिक पे की वजह से कटौतियाँ भी अधिक होंगी.

कुल मिलाकर, यह नियम अल्पकाल में इन-हैंड सैलरी को कम कर सकता है, लेकिन भविष्य की आर्थिक स्थिरता और रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए यह एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम माना जा रहा है.