What is One Nation One Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' क्या है, मोदी सरकार इसे क्यों लागू करना चाहती है?
Election Commission (IMG: Pixabay)

What is One Nation One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसका उद्देश्य एक ही समय पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराना है. सूत्रों के अनुसार, संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक पेश किए जाने की संभावना है. सूत्रों ने दावा किया कि टीडीपी और जेडीयू जैसे भाजपा के सहयोगी दल भी इस विचार का समर्थन करते हैं. दरअसल, मोदी सरकार 17 सितंबर को अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे करने जा रही है और वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक को पूरा करना चाहती है.

पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की वकालत की थी. उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति बाधित हो रही है. वह अक्सर देश को चुनावों के अंतहीन चक्र से बाहर निकालने की बात करते रहे हैं, जिससे संसाधनों और धन की बर्बादी होती है.

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मार्च 2024 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर एक उच्च स्तरीय समिति ने इस विचार का समर्थन करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. इसमें कहा गया है कि लगातार चुनाव अनिश्चितता का माहौल बनाते हैं और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं. एक साथ चुनाव कराने से नीति निर्माण में अधिक निश्चितता आएगी. एक साथ चुनाव के लाभों पर प्रकाश डालते हुए समिति ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' मतदाताओं के लिए आसानी और सुविधा सुनिश्चित करता है. लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' क्या है?

'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का उद्देश्य एक ही समय में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराना है. एक साथ चुनाव कराने का विचार पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था. मई 1999 में अपनी 170वीं रिपोर्ट में न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने कहा था कि हमें उस स्थिति में वापस जाना होगा, जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे.

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एक साथ चुनाव के पक्ष में तर्क:

  • चुनाव कराने की लागत में कमी
  • प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर बोझ कम करना
  • एक साथ चुनाव से मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है

एक साथ चुनाव के खिलाफ तर्क:

  • संविधान और अन्य कानूनी रूपरेखा में बदलाव की आवश्यकता होगी
  • एक साथ चुनाव होने पर क्षेत्रीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर हावी हो सकते हैं
  • सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति एक बड़ी बाधा है

बता दें, कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और बेल्जियम समेत छह देशों में चुनाव प्रक्रियाओं के अध्ययन को शामिल किया है. वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस में एक साथ चुनाव होते हैं.