National Girl Child Day 2021: राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यूएन प्रतिनिधि निष्ठा सत्यम ने कहा- निडर होकर ख्वाब देखो
निष्ठा सत्यम (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 24 जनवरी: भारत में 24 जनवरी यानी आज का दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया जाता है और विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. इस मौके पर यूएन वीमेन (UN Women) के लिए भारत में उप प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रही निष्ठा सत्यम (Nishtha Satyam) ने राष्ट्रीय बालिका दिवस की सभी को शुभकामनाएं दी. निष्ठा सत्यम ने आईएएनएस से कहा कि आज का दिन एक ऐसा दिन है जो हमारे जीवन, साहित्य और इकोनॉमी में बहुत महत्वपूर्ण है. ये दिन हमें याद दिलाता है कि देश की महिलाओं के लिए बहुत कुछ करना बाकी है.

उन्होंने बताया, बालिकाओं की शिक्षा के लिए हम कई तरह से काम कर रहे हैं. हमारा सबसे बड़ा अभियान 'सेकंड चांस' है, इसका मतलब एक दूसरा अवसर देना है. हम नेशनल ओपन डे स्कूल के साथ काम करते हैं, जिसमें महिलाओं को 10वीं और 12वीं कक्षा का सर्टिफिकेट मिलता है. हम मिनिस्ट्री ऑफ डेवलपमेंट के साथ ट्रेनिंग पर भी काम करते हैं. देशभर में महिलाओं और बालिकाओं के साथ हो रही हिंसा पर निष्ठा ने आईएएनएस से कहा, महिलाओं के साथ हिंसा होना न शहर का मुद्दा है और न ही गांव का, वो हर गली और घर का मुद्दा है. हम इन हिंसाओं को रोकने के लिए महिला के कई पहलुओं पर काम करते हैं. केंद्र, राज्य सरकारों और पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर काम करते हैं, जिसका असर देखने को भी मिलता है.

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दरअसल, महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत हुई थी. सरकार का 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान लड़कियों के लिए चलाया गया एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है. इस अभियान के तहत लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया जाता है. इस मसले पर निष्ठा ने कहा, हमने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ और सरकार के अन्य अभियानों पर एक मूल्यांकन मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार के साथ किया था. जिसके हमारे पास बहुत अच्छे नतीजे हैं. इन अभियानों के तहत पुरुषों ओर उनकी सोच में भी बदलाव देखने को मिला है.

हाल ही के दिनों में कुछ राज्यों में लव जिहाद कानून पर भी निष्ठा ने अपने विचार रखे, उन्होंने कहा कि, कोई भी कानून, सरकार और हम कुछ भी करें, जिसमे महिला की आवाज, पसंद का सम्मान न हो वो कानून महिलाओं के हित मे नहीं होता. महिलाओं की बात को सुनना चाहिए यदि हम उनकी आवाज न पहचानें तो वो गलत होगा और लोकतंत्र में आवाज को उठाना और दबाना, इनकी कोई जगह नहीं है. राष्ट्रीय बालिका दिवस पर देशभर के कई राज्यों में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं वहीं जिलों में बालिकाओं की सांकेतिक अधिकारी के रूप में नियुक्ति भी की जाती है.

इस मसले पर निष्ठा ने बताया कि, यदि महिलाओं को एक दिन का रोल मिलता है तो महिलाओं को लगता है कि मैं ये रोल कर सकती हूं और मैं इस कुर्सी पर बैठ सकती हूं. ये सब कर हम जो देश में उदारहण देते हैं वो न जाने कब किसी की जिंदगी बदल दे. निष्ठा ने इस अवसर पर देश की महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि, निडर हो कर ख्वाब देखिए क्योंकि बदलाव की शुरूआत यहीं से है. आपके ख्वाब ऐसे हों कि सामने वाला शख्श कहे कि पागल हो? उनको इतना मजबूर कर दो अपने ख्वाब से कि वो तुम्हें चुनौती दे.

उन्होंने आगे कहा, बुलंद और निडर हो कर ख्वाब देखिए, निडरता और बुलंदी दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी से यही सीखा है. भारत में 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की शुरूआत 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने की थी. इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश में बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरुक करना है. इस अवसर पर देश पर में बालिका बचाओ अभियान चलाए जाने लगे, इसके अलावा चाइल्ड सेक्स रेशियो और लड़कियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण देने के लिए हर संभव कोशिश की जाती है.