
American Independence Day: जब हम अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में 4 जुलाई (4th of July) की तारीख, आतिशबाजी और जश्न की तस्वीरें आती हैं. लेकिन अमेरिका की आजादी की कहानी सिर्फ एक दिन में नहीं लिखी गई. यह दशकों के असंतोष, वैचारिक क्रांति, साहसी विरोध और एक लंबे सशस्त्र संघर्ष का परिणाम थी. चलिए, इस ऐतिहासिक सफर को विस्तार से जानते हैं.
क्रांति के बीज कैसे बोए गए
18वीं शताब्दी के मध्य में, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर ब्रिटेन की 13 कॉलोनियां (बस्तियां) थीं. शुरुआत में इन कॉलोनियों को काफी हद तक अपनी सरकार चलाने की आजादी थी. ब्रिटेन और इन कॉलोनियों के बीच संबंध काफी हद तक ठीक थे. लेकिन यह स्थिति जल्द ही बदलने वाली थी.
1. सात वर्षीय युद्ध का प्रभाव: 1756 से 1763 तक ब्रिटेन और फ्रांस के बीच सात वर्षीय युद्ध हुआ, जिसका एक बड़ा मोर्चा उत्तरी अमेरिका में भी था. इस युद्ध में ब्रिटेन की जीत तो हुई, लेकिन इसकी उसे भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी. युद्ध के खर्चों से ब्रिटिश सरकार पर भारी कर्ज हो गया.
2. "प्रतिनिधित्व के बिना कराधान नहीं": अपने खजाने को फिर से भरने के लिए, ब्रिटिश संसद ने अमेरिकी कॉलोनियों पर सीधे टैक्स लगाने का फैसला किया. यहीं से संघर्ष की शुरुआत हुई.
- स्टाम्प एक्ट (1765): इस कानून के तहत कॉलोनियों में सभी कानूनी दस्तावेजों, अखबारों और यहां तक कि ताश के पत्तों पर भी टैक्स लगा दिया गया. कॉलोनियों के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया. उनका नारा था "No Taxation without Representation" यानी "प्रतिनिधित्व के बिना कराधान नहीं". उनका तर्क था कि चूँकि ब्रिटिश संसद में उनका कोई प्रतिनिधि नहीं है, इसलिए संसद को उन पर टैक्स लगाने का कोई अधिकार नहीं है. भारी विरोध के बाद इस एक्ट को वापस ले लिया गया.
- टाउनशेंड एक्ट्स (1767): ब्रिटेन ने फिर से चाय, कांच, सीसा और कागज जैसी आयातित वस्तुओं पर टैक्स लगाया. इसका भी कड़ा विरोध हुआ और ज्यादातर टैक्स हटा दिए गए, सिवाय चाय पर लगे टैक्स के.
बढ़ता तनाव और प्रमुख घटनाएं
ब्रिटेन की नीतियों ने कॉलोनियों के लोगों में गुस्सा और अविश्वास भर दिया था. छोटी-छोटी घटनाएँ अब बड़े टकराव का रूप ले रही थीं.
- बोस्टन नरसंहार (1770): बोस्टन शहर में ब्रिटिश सैनिकों और प्रदर्शनकारियों के एक समूह के बीच झड़प हो गई. सैनिकों ने भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई. इस घटना ने आग में घी का काम किया.
- बोस्टन टी पार्टी (1773): चाय पर लगे टैक्स के विरोध में, बोस्टन में प्रदर्शनकारियों का एक समूह, जो मूल अमेरिकी आदिवासियों के भेष में था, बंदरगाह पर खड़े ब्रिटिश जहाजों पर चढ़ गया और चाय की 342 पेटियों को समुद्र में फेंक दिया. यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा और प्रतीकात्मक विरोध था.
- असहनीय अधिनियम (Intolerable Acts, 1774): बोस्टन टी पार्टी से बौखलाकर, ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी कानूनों की एक श्रृंखला पारित की. इन कानूनों के तहत बोस्टन बंदरगाह को बंद कर दिया गया और मैसाचुसेट्स की स्थानीय सरकार को भंग कर दिया गया. इन कानूनों को कॉलोनियों में "असहनीय अधिनियम" कहा गया. इन कानूनों ने दमन करने के बजाय सभी 13 कॉलोनियों को ब्रिटेन के खिलाफ एकजुट कर दिया.
स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ
अब विरोध प्रदर्शन एक सशस्त्र क्रांति का रूप ले चुका था.
1. प्रथम महाद्वीपीय कांग्रेस (1774): 13 में से 12 कॉलोनियों के प्रतिनिधि फिलाडेल्फिया में मिले. उन्होंने ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया और राजा जॉर्ज तृतीय को अपनी शिकायतें बताते हुए एक याचिका भेजी.
2. लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड की लड़ाइयां (1775): अप्रैल 1775 में, ब्रिटिश सैनिकों को लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड शहरों में क्रांतिकारियों के हथियारों के जखीरे को जब्त करने के लिए भेजा गया. यहीं पर अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की पहली गोली चली. यह लड़ाई "दुनिया भर में सुनी गई गोली" (The shot heard 'round the world) के नाम से प्रसिद्ध हुई.
3. द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस (1775): लड़ाइयां शुरू होने के बाद, फिलाडेल्फिया में फिर से कांग्रेस की बैठक हुई. इस बार, उन्होंने एक कॉन्टिनेंटल आर्मी (महाद्वीपीय सेना) बनाने का फैसला किया और वर्जीनिया के जॉर्ज वॉशिंगटन को इसका कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया.
स्वतंत्रता की ऐतिहासिक घोषणा (4 जुलाई, 1776)
युद्ध तो शुरू हो गया था, लेकिन अभी तक लक्ष्य पूर्ण स्वतंत्रता नहीं था. बहुत से लोग अभी भी ब्रिटेन के साथ सुलह की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन 1776 की शुरुआत में थॉमस पेन की एक छोटी पुस्तिका "कॉमन सेंस" ने सब कुछ बदल दिया. इस पुस्तिका ने सरल और प्रभावी भाषा में राजशाही की आलोचना की और पूर्ण स्वतंत्रता की जोरदार वकालत की. यह बहुत लोकप्रिय हुई और इसने आम लोगों को आजादी के विचार के लिए तैयार किया.
इसी माहौल में, द्वितीय महाद्वीपीय कांग्रेस ने 4 जुलाई, 1776 को "स्वतंत्रता की घोषणा" (Declaration of Independence) को अपनाया. मुख्य रूप से थॉमस जेफरसन द्वारा लिखे गए इस दस्तावेज़ ने घोषणा की कि 13 कॉलोनियां अब स्वतंत्र और संप्रभु राज्य हैं. इसमें यह प्रसिद्ध पंक्ति भी शामिल थी कि सभी मनुष्य समान बनाए गए हैं और उन्हें कुछ अहरणीय अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें "जीवन, स्वतंत्रता और खुशी की तलाश" शामिल है.
क्रांतिकारी युद्ध और विजय
घोषणा करना एक बात थी, और इसे हकीकत में बदलना दूसरी. अमेरिकी सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली ब्रिटिश सेना का सामना करना था.
- शुरुआती संघर्ष: युद्ध के शुरुआती वर्षों में जॉर्ज वॉशिंगटन की सेना को कई हार का सामना करना पड़ा.
- साराटोगा की लड़ाई (1777): यह युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. न्यूयॉर्क के साराटोगा में अमेरिकी सेना ने ब्रिटिश सेना पर एक निर्णायक जीत हासिल की.
- फ्रांसीसी गठबंधन: साराटोगा की जीत ने फ्रांस को यह विश्वास दिलाया कि अमेरिकी यह युद्ध जीत सकते हैं. 1778 में, फ्रांस ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका को मान्यता दी और उनके साथ एक सैन्य गठबंधन बनाया. फ्रांस की नौसेना और वित्तीय सहायता ने युद्ध का पासा पलट दिया.
- यॉर्कटाउन की घेराबंदी (1781): वर्जीनिया के यॉर्कटाउन में अमेरिकी और फ्रांसीसी सेनाओं ने मिलकर ब्रिटिश जनरल कॉर्नवॉलिस की सेना को घेर लिया. कई हफ्तों की घेराबंदी के बाद, कॉर्नवॉलिस ने आत्मसमर्पण कर दिया. यह युद्ध की अंतिम बड़ी लड़ाई थी.
शांति और मान्यता: पेरिस की संधि (1783)
यॉर्कटाउन में हार के बाद, ब्रिटेन ने शांति वार्ता शुरू की. 3 सितंबर, 1783 को पेरिस में एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए. इस "पेरिस की संधि" के तहत, ब्रिटेन ने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी.
अमेरिका की स्वतंत्रता एक लंबी और कठिन यात्रा थी. यह "प्रतिनिधित्व के बिना कराधान" जैसे मुद्दों पर शुरू हुई और जीवन और स्वतंत्रता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित एक नए राष्ट्र के जन्म पर समाप्त हुई. इसलिए, जब आज अमेरिकी 4 जुलाई मनाते हैं, तो वे सिर्फ एक दिन की छुट्टी नहीं मनाते, बल्कि वे उन नेताओं के साहस, सैनिकों के बलिदान और उन आदर्शों को याद करते हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक को जन्म दिया.