हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि सहमति से शारीरिक संबंध लंबे समय तक जारी रहता है, तो यह नहीं कहा जा सकता कि महिला की सहमति केवल शादी के वादे पर आधारित थी. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि शादी का झूठा झांसा देकर बलात्कार के अपराध में किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए, इस बात के पुख्ता और स्पष्ट सबूत होने चाहिए कि शारीरिक संबंध केवल शादी के वादे के आधार पर स्थापित किए गए थे, जिसे कभी पूरा करने का इरादा नहीं था. दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में एक व्यक्ति की दोषसिद्धि और सजा के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की. व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 366 और 376 के तहत दोषी ठहराया गया था और उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. यह भी पढ़ें: HC on Maintenance for Wife: पत्नी पढ़ी लिखी हो तब भी मिलना चाहिए मेंटेनेंस, तलाक मांगने से खत्म नहीं होता अधिकार; दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
लंबे समय तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाने का मतलब यह नहीं है कि सहमति केवल शादी करने के वादे पर आधारित थी:
Long Term Consensual Physical Relationship Doesn't Mean Consent Was Purely Based On Promise To Marry: Delhi HC Sets Aside Rape Conviction | @nupur_0111 https://t.co/RGdjbpgZPb
— Live Law (@LiveLawIndia) March 3, 2025
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