![Shab-E-Qadr 2024: कब है शब-ए-कद्र? क्यों इसे रमजान की सबसे ‘पाक’ रात माना जाता है! जानें कैसे करते हैं सेलिब्रेशन! Shab-E-Qadr 2024: कब है शब-ए-कद्र? क्यों इसे रमजान की सबसे ‘पाक’ रात माना जाता है! जानें कैसे करते हैं सेलिब्रेशन!](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2024/04/86-6-380x214.jpg)
Laylatul Qadr 2024: इस्लाम धर्म में रमजान माह को बहुत पवित्र माह माना जाता है. इस पूरे माह मुसलमान रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं, लेकिन रमजान के आखिरी अशरे अर्थात 10 दिनों का खास महत्व होता है. वहीं रमजान की आखिरी 10 रातों की विषम संख्या वाली रातों में कोई एक रात शब-ए-कद्र की रात होती है. दूसरे शब्दों में रमजान के 26वें रोजे की तारीख रमजान की 27वीं रात होती है. इसे शब-ए-कद्र की रात कहा जाता है. इस्लाम धर्म में इस रात को बेहद पवित्र रात माना गया है, जिसमें अल्लाह का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
शब-ए-कद्र की रात का महत्व
शब-ए-कद्र को ही ‘लैलातुल कद्र’ भी कहा जाता है. शब-ए-कद्र की रात की रात रमजान की शेष रातों की तुलना में ज्यादा खास और पवित्र माना जाता है. इसी ‘आज्ञा की रात’, ‘शक्ति की रात’, ‘मूल्य की रात’ और ‘नियति की रात’ आदि भी माना जाता है. इस रात की गई इबादत का 84 साल 4 माह की इबादत के समान सवाब मिलता है. मान्यता है कि शब-ए-कद्र की रात अल्लाह की रहमत और बरकत के साथ फरिश्ते और जिब्रील अलैहिस्सलाम पृथ्वी पर उतरते हैं. इस रात का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अल्लाह ने मोमिन की रहनुमाई के लिए इसी रात कुरान पाक को आकाश से नाजिल किया था, इसलिए इस रात मुसलमान कुरान पढ़ते हैं, और इसकी तिलावट करते हैं. यह भी पढ़ें : Vivah Muhurat 2024: ग्रीष्म काल में विवाह के कम बन रहे हैं शुभ-मुहूर्त! जानें इस वर्ष मई-जून में शादियां क्यों नहीं होंगी!
कैसे करते हैं सेलिब्रेट शब-ए-कद्र को
रमजान माह की शब-ए-कद्र की रात सबसे सलामती वाली रात मानी जाती है. इस रात रोजा रखने वाले लोग तमाम गुनाहों से तौबा करते हुए अल्लाह की इबादत करते हैं. रोजेदार इस पूरी रात जागकर ज्यादा से ज्यादा समय तक अल्लाह की इबादत करते हैं. इसके साथ-साथ वे अल्लाह की इबादत, दुआ, कुरान की तिलावट आदि पर भी विचार करते हैं. इस रात रोजेदार न केवल अपनी बल्कि माता-पिता और परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों की अपराधों के लिए भी अल्लाह से छमा मांगते हैं. मान्यता है कि सच्ची आस्था के साथ इबादत करनेवाले बंदों की अल्लाह अवश्य सुनते हैं, और मुसलमानों का भी विश्वास रहता है कि उनके अतीत के पाप माफ कर दिए जाएंगे.