Laylatul Qadr 2025: शब-ए-कद्र को क्यों माना जाता है माह-ए-रमजान की सबसे पाक रात? जानें इसका महत्व
शब-ए-कद्र 2025 (Photo Credits: File Image)

Laylatul Qadr 2025: रमजान (Ramadan) के आखिरी अशरा (अंतिम दस दिन) के दौरान कुछ रातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, खासकर विषम रातें, जिन्हें लैलतुल कद्र (Laylatul Qadr) या शब-ए-कद्र (Shab-e-Qadr) के नाम से जाना जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो रमजान के 26वें रोजे की तारीख रमजान की 27वीं रात होती है, जिसे शब-ए-कद्र की रात कहा जाता है. इस्लाम धर्म में इस रात को बेहद पवित्र रात माना गया है, जिसमें अल्लाह का आशीर्वाद प्राप्त होता है. रमजान करीम की यह पवित्र रात अल्लाह की कृपा और दया पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी मानी जाती है. इसे शक्ति की रात या फैसले की रात भी कहा जाता है.

ऐसा माना जाता है कि लैलतुल कद्र के दिन, पवित्र कुरान को फरिश्ते गेब्रियल (जिब्रील) के जरिए पैगंबर मुहम्मद पर उतारा गया था. रमजान की इन विषम रातों के दौरान, दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह की दया और क्षमा की कामना करते हैं. वे रात को प्रार्थना में बिताते हैं, कुरान पढ़ते हैं और अपने विश्वास पर चिंतन करते हैं. यह भी पढ़ें: Shab-e-Qadr Mubarak 2025 Wishes: शब-ए-कद्र की दें अपनों को मुबारकबाद, भेजें ये आकर्षक WhatsApp Status, Quotes, Shayari, Photo SMS और HD wallpapers

रमजान की 27वीं रात को सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद अल-हरम में भारी बारिश की खबर मिली. कई श्रद्धालु इसे लैलातुल कद्र का दिव्य संकेत मानते हैं, जो पवित्र महीने के आध्यात्मिक माहौल को और बढ़ाता है. शब-ए-कद्र की रात की रात रमजान की शेष रातों की तुलना में ज्यादा खास और पवित्र माना जाता है. इसे ‘आज्ञा की रात’, ‘शक्ति की रात’, ‘मूल्य की रात’ और ‘नियति की रात’ आदि भी माना जाता है.

रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है और रोजे के लिए सबसे पवित्र अवधि है. यह अर्धचंद्र के दिखने के साथ शुरू और खत्म होता है. चूंकि इस्लामी चंद्र कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से छोटा है, इसलिए रमजान हर साल 10-12 दिन पहले शुरू होता है, जिससे यह 33 साल के चक्र में हर मौसम में पड़ता है.