Presidential Elections 2022: झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार होंगी. मंगलवार को भाजपा की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था, संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की. हालांकि 20 से ज्यादा नाम एनडीए के उम्मीदार के लिए मंगाए गए थे. लेकिन एनडीए की बैठक में झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा हुई हैं. जानते हैं कि ओडिशा की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू कौन हैं. राजनीतिक जीवन की शुरूआत उन्होंने कैसे और कब की.
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ है. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ओडिशा में पार्षद बनने के साथ की थी. राजनीतिक में आगे बढ़ने के बाद उन्होंने बीजेपी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, 2000-2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं. वह साल 2000 और 2004 में ओडिशा की पूर्व मंत्री और रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं. यह भी पढ़े: Presidential Election 2022: बीजेपी की घोषणा, आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू होंगी NDA से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार
वह राज्यपाल नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता रही हैं. निर्वाचित होने के बाद द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी. इसके अलावा वे ओडिशा से भी प्रथम राष्ट्रपति होंगी.
पार्षद के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की:
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया. वह मयूरभंज (2000 और 2009) के रायरंगपुर से बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक रहीं. उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है. मुर्मू 2013 से 2015 तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं. उन्होंने 1997 में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.