कर्नाटक की राजनीति में चल रही उठापटक पर जल्द ही विराम लग सकता है. खबर है कि कांग्रेस हाईकमान 1 दिसंबर से पहले वहां के नेतृत्व को लेकर कोई बड़ा और कड़ा फैसला ले सकता है. संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है और पार्टी उससे पहले ही स्थिति पूरी तरह साफ कर देना चाहती है.
दिल्ली में हो सकती है बड़ी बैठक
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के बीच आज या कल एक बेहद अहम बैठक होने वाली है. इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को 28 या 29 नवंबर को दिल्ली बुलाया जा सकता है. पार्टी नेतृत्व पिछले कुछ हफ्तों से चल रही अंदरूनी खींचतान को अब और लंबा नहीं खींचना चाहता.
दोनों गुटों में क्या है पेंच?
पार्टी के अंदर दो गुटों में रस्साकशी चल रही है.
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सिद्धारमैया का खेमा: इनका कहना है कि कम से कम मार्च तक नेतृत्व में कोई बदलाव न किया जाए. वे चाहते हैं कि अभी सिर्फ कैबिनेट में फेरबदल हो. सिद्धारमैया के करीबी सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी का पूरा समर्थन सीएम के साथ है और ज्यादातर विधायक भी उन्हीं के पक्ष में हैं.
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डीके शिवकुमार का खेमा: वहीं, डीके के समर्थक चाहते हैं कि पार्टी सीएम पद के बंटवारे (ट्रांजिशन प्लान) को लेकर स्थिति साफ करे. उनका तर्क है कि 2023 में सरकार बनते वक्त अनौपचारिक रूप से ऐसा वादा किया गया था. डीके के वफादार विधायक इकबाल हुसैन ने तो सार्वजनिक तौर पर कह दिया है कि डीके शिवकुमार ही सीएम बनेंगे.
हाईकमान की चिंता
नेताओं की तरफ से आ रहे ऐसे बयानों से कांग्रेस अध्यक्ष खरगे नाराज बताए जा रहे हैं. वे दक्षिण भारत में कांग्रेस के इस सबसे मजबूत किले में किसी भी तरह की अस्थिरता नहीं चाहते. अब फैसला राहुल गांधी और शीर्ष नेतृत्व के हाथों में है. सवाल यही है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व कर्नाटक के इस मुश्किल मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार है?













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