भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह (Damoh) विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उप-चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर होने वाले उप-चुनाव की हार जीत से सूबे की शिवराज सरकार की स्थिति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है, मगर इस उप-चुनाव में बीजेपी (BJP) के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा जरुर दांव पर लगने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि दल-बदल करने वाले राहुल लोधी को बीजेपी के उम्मीदवार घोषित कर देने के बाद से बीजेपी में असंतोष के स्वर सुनाई देने लगे हैं. कांग्रेस ने 17 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के लिए यहां से अजय टंडन (Ajay Tandon) को अपना उम्मीदवार बनाया है. Assam Elections 2021: असम चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी किया संकल्प पत्र, राज्य में दूसरी पारी के लिए किये ये 5 बड़े वादे
दमोह विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में सत्ताधारी दल बीजेपी को विपक्षी कांग्रेस से कहीं ज्यादा चुनौती अपनों से होने का अंदेशा बना हुआ है. दमोह विधानसभा के उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस से दल बदल करके आए राहुल लोधी को उम्मीदवार बनाने का लगभग फैसला कर ही लिया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान तो इसकी घोषणा भी कर चुके हैं, जिससे पार्टी के स्थानीय नेताओं में नाराजगी है. पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया और उनका परिवार तो पार्टी के निर्णय से खुश नहीं हैं और बड़े फैसले तक की तैयारी में है. मलैया के समर्थक जहां बैठकें कर नाराजगी जता रहे हैं तो उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया की भी सक्रियता बढ़ गई है.
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। दमोह में मतदान 17 अप्रैल को हेागा और मतगणना दो मई को। इसके साथ ही यहां सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस से दल बदल कर आए राहुल लोधी को भाजपा द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले के बाद से
राहुल लोधी ने पिछले चुनाव यानि की वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मलैया को शिकस्त दी थी. मलैया तब बीजेपी के उम्मीदवार थे. लेकिन पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने विधायक के पद इस्तीफा दे दिया और बाद में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गये. इससे यह सीट खाली हुई है. इस सीट पर 17 अप्रैल को मतदान होगा और मतों की गिनती दो मई को होगी.
दमोह सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री जयंत मलैया वर्ष 1990 से 2018 तक छह बार विधायक रहे, लेकिन नवंबर 2018 में हुए चुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ने मात्र 798 मतों से पराजित कर दिया था. वहीं, टंडन इस सीट पर दो बार मलैया से हार चुके हैं.
बीजेपी की ओर से चुनावी जमावट की जा रही है. कार्यकर्ताओं को दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं. पिछले दिनों मुख्यमंत्री चौहान और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा दमोह का दौरा भी कर चुके हैं. इसके ठीक विपरीत मलैया परिवार की सक्रियता भी बढ़ी है. जयंत मलैया ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं और एक सप्ताह बाद वे अपना रुख साफ करेंगे, अभी पार्टी में हैं. एक तरफ जहां मलैया का यह बयान सियासी तौर पर बड़े मायने रखने वाला है तो दूसरी ओर उनके बेटे सिद्धार्थ की भी सक्रियता बढ़ी हुई है. अपने समर्थकों के साथ उनका मेलजोल बढ़ा हुआ है.
राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि आगामी विधानसभा के उप-चुनाव में मलैया की भूमिका अहम रहने वाली है. इसकी वजह है, वे वर्ष 2018 से पहले लगातार छह बार विधानसभा का चुनाव जीते, पिछला चुनाव हार गए. मलैया का अपना वोटबैंक है, अगर वे बगावत नहीं करते हैं और शांत ही बैठ जाते हैं तो पार्टी के लिए नुकसान तय हैं. वहीं अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी की जीत में बड़ा रोड़ा बन सकते हैं. यह बात बीजेपी भी जानती है, इसलिए पार्टी की ओर से मलैया को चुनाव लड़ने से रोकने और पार्टी के पक्ष मे सक्रिय रहने के प्रयास करेगी. चुनाव न लड़ने के एवज में मलैया परिवार को बड़ी जिम्मेदारी भी मिल सकती है.