नई दिल्ली: भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नया इतिहास रचा जा रहा है. भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अब धरती पर लौटने की तैयारी में हैं. यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं.
इस मिशन का नाम 'आकाश गंगा' है, जो एक्सिओम स्पेस, नासा और इसरो का एक मिला-जुला प्रयास है. इस मिशन से भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान के सपने को नई उड़ान मिली है. भविष्य में भारत 'गगनयान' मिशन और 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' बनाने की भी योजना बना रहा है.
कैसा रहा मिशन?
ग्रुप कैप्टन शुक्ला और उनके साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा से अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे. 26 जून को वे अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच गए. शुभांशु इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं.
अंतरिक्ष स्टेशन पर लगभग 17 दिन रहने के दौरान, शुभांशु और उनके साथियों ने 60 से ज़्यादा वैज्ञानिक प्रयोग किए. उन्होंने 20 से ज़्यादा कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया, जिसका मकसद धरती पर मौजूद युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के लिए प्रेरित करना था.
शुभांशु ने अंतरिक्ष में किए खास भारतीय प्रयोग
अपने इस प्रवास के दौरान, ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने भारत के लिए 7 विशेष प्रयोग किए. ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी यानी बेहद कम गुरुत्वाकर्षण वाले माहौल में किए गए. इन प्रयोगों से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण डेटा मिलेगा. कुछ प्रमुख प्रयोग इस प्रकार हैं:
- टार्डिग्रेड्स: एक बेहद सूक्ष्म जीव पर यह अध्ययन किया गया कि वह अंतरिक्ष के माहौल में कैसे जीवित रहता है और वंश बढ़ाता है.
- मायोजेनेसिस: यह समझा गया कि अंतरिक्ष में इंसानी मांसपेशियों पर क्या असर पड़ता है.
- मेथी और मूंग के बीज: अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन उगाने और स्थायी खेती की संभावनाओं पर शोध किया गया.
- सायनोबैक्टीरिया: जीवन रक्षक प्रणालियों के लिए इनकी दो किस्मों के विकास का अध्ययन किया गया.
इन प्रयोगों से मिले सैंपल अब आगे के विश्लेषण के लिए पृथ्वी पर वापस लाए जा रहे हैं.
कैसी है शुभांशु की सेहत?
इसरो के डॉक्टर लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शुभांशु शुक्ला के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए थे. रिपोर्टों के अनुसार, उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है और वे पूरे जोश में हैं. यह उनके कड़े प्रशिक्षण का ही नतीजा है.
कब और कैसे होगी वापसी?
- अनडॉकिंग: शुभांशु और उनके साथी 14 जुलाई, 2025 को भारतीय समय के अनुसार शाम 4:30 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होंगे.
- स्प्लैशडाउन: उनका स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई, 2025 को भारतीय समय के अनुसार दोपहर 3:00 बजे अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में उतरेगा.
धरती पर लौटने के बाद, शुभांशु को 7 दिनों के एक विशेष रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से गुजरना होगा. यह इसलिए जरूरी है ताकि उनका शरीर अंतरिक्ष के माइक्रोग्रैविटी वाले माहौल से निकलकर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के साथ फिर से तालमेल बिठा सके.
भारत के लिए ऐतिहासिक पल
विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं. यह मिशन भारत को दुनिया के ताकतवर अंतरिक्ष देशों की कतार में खड़ा करता है. 'आकाश गंगा' मिशन की सफलता से भारत के आने वाले अंतरिक्ष अभियानों को और गति मिलेगी.
पूरा देश गर्व और उत्साह के साथ अपने हीरो के लौटने का इंतजार कर रहा है. जब शुभांशु भारत वापस आएंगे, तो उनका भव्य स्वागत किया जाएगा.













QuickLY