बेंगलुरु: कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. कांग्रेस सरकार के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच बीजेपी ने सत्ताधारी पार्टी पर हमला तेज कर दिया है. कर्नाटक BJP अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने दावा किया कि "सरकार का प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है" क्योंकि कांग्रेस के अंदर सीएम की कुर्सी के लिए कई वरिष्ठ नेता संघर्ष कर रहे हैं.
विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस के भीतर कम से कम 7 से 8 वरिष्ठ मंत्री और विधायक किसी भी तरह मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. उनके अनुसार यही आंतरिक टकराव सरकार की नाकामी की सबसे बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि 2023 में जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश दिया था, इसलिए BJP सरकार बदलने की कोशिश नहीं करेगी, लेकिन राज्य की स्थिति चिंताजनक है.
किसानों की अनदेखी का आरोप, केंद्र से फंड पर षड्यंत्र
बीजेपी नेता ने सिद्धारमैया सरकार पर किसानों की उपेक्षा का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बारिश और बाढ़ से किसानों का बुरा हाल है, लेकिन कोई मंत्री अब तक प्रभावित गांवों में नहीं गया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार की योजनाओं के फंड के लिए राज्य सरकार को प्रोग्रेस रिपोर्ट भेजनी होती है, लेकिन कांग्रेस सरकार जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही और इसके बजाय केंद्र पर आरोप लगाकर अपनी नाकामी छिपा रही है.
शिवकुमार का जवाब: “कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं”
इन आरोपों के बीच डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने विपक्ष की सभी बातों को "नैरेटिव" बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ नाश्ते की बैठक के बाद दावा किया कि पार्टी में न तो कोई तनाव है और न ही कोई नेतृत्व विवाद. शिवकुमार ने कहा, “मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं, मुझे अपने दायरे पता हैं. मैंने कभी CM के साथ मतभेद वाली कोई बात नहीं कही.”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार का फोकस 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव की लंबी रणनीति पर है.
अंदरूनी तनाव बरकरार
विपक्ष ने कांग्रेस के ‘संयुक्त प्रदर्शन’ को महज़ राजनीतिक दिखावा बताया. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना है कि अंदरूनी तनाव पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है. उन्होंने कहा, “कर्नाटक में आज जो राजनीतिक अस्थिरता है, वह देश में कहीं नहीं दिखती.”
कुर्सी का गणित: आधे कार्यकाल के बाद बढ़ी हलचल
नेतृत्व विवाद इसलिए भी गर्म है क्योंकि कांग्रेस सरकार ने हाल ही में अपना 2.5 साल का आधा कार्यकाल पूरा किया है. इसी के बाद फिर चर्चा शुरू हुई कि क्या शिवकुमार को वादा किए अनुसार CM बनाया जाएगा? जबकि खुद सिद्धारमैया बार-बार कह चुके हैं कि वह पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे.
दोनों नेताओं को अलग-अलग समुदायों का मजबूत समर्थन भी मिलता है, जिससे शक्ति संतुलन और मुश्किल हो गया है.













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