नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railway) की टिकट और खानपान प्रदान करने वाली शाखा आईआरसीटीसी (IRCTC) चार्ट तैयार होने के बाद भी अमान्य या अपुष्ट ई-वेटिंग टिकटों (e-Ticket) पर सुविधा शुल्क (Convenience Fee) और बैंक शुल्क (Bank Charges) वसूल रहा है. इस मुद्दे पर अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को गौर करने की सलाह दी है. रेलवे ने दी गुड न्यूज, स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की शुरू की तैयारी, अत्याधुनिक सुविधाओं से होगी लैस
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना आयुक्त उदय माहूरकर (Uday Mahurkar) ने भोपाल के एक आरटीआई आवेदक प्रकाश अग्रवाल द्वारा दायर अपील में पिछले हफ्ते निर्णय सुनाते हुए कहा, "आयोग रेल मंत्रालय और रेलवे बोर्ड अध्यक्ष को अपीलकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने की सलाह देता है. यह मामला बड़े जनहित से जुड़ा हुआ हैं. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि ऐसे शुल्क कम होने चाहिए जब नागरिक भारत सरकार की नीति को ध्यान में रखते हुए डिजिटल इंडिया मिशन के तहत डिजिटल मोड को अपना रहा है."
रिपोर्ट के अनुसार, अग्रवाल ने यह कहते हुए आवेदन दायर किया था कि रेल मंत्रालय ने उनके सवालों का पूरा जवाब नहीं दिया है. उन्होंने दावा किया था कि रेल मंत्रालय उस अधिसूचना को निर्दिष्ट करने में विफल रहा है, जिस पर आईआरसीटीसी द्वारा गैर-आवंटित ई-वेटिंग टिकटों पर रद्दीकरण शुल्क लगाया गया था. उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि रेलवे को जनहित में ऐसे टिकटों पर इस तरह के शुल्क नहीं लगाने चाहिए.
रेल मंत्रालय ने सीआईसी को जवाब में बताया था कि एजेंसी ने सभी डिटेल्स दिए हैं और कटौती रेल मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार की जाती है. जबकि आवेदक को भी रेलवे के नियमों से अवगत करवाया गया था. आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने कहा कि नियमों के अनुसार ही कन्फर्म नहीं होने वाले ई-टिकटों पर शुल्क वसूला जाता है.
हालांकि, सूचना आयुक्त ने अपने फैसले में पाया कि दायर आरटीआई आवेदन जनहित में था और मंत्रालय द्वारा दायर जवाब "गैर-आवंटित ई-टिकटों से कथित अनुचित कटौती" के मुद्दे को संबोधित नहीं करता था. सूचना आयोग ने यह भी पाया कि ऑनलाइन बुक किए गए ई-टिकट पर लगाए गए शुल्क ठीक वही हैं जो मैन्युअल रूप से बुक किए गए टिकटों के मामले में हैं.