ऑनलाइन टिकट पर ही क्यों मिलता है एक्सीडेंट कवर? सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा सवाल
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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रेलवे से एक बड़ा और अहम सवाल पूछा है. जब ट्रेन दुर्घटना बीमा ऑनलाइन टिकट खरीदने वालों को दिया जा सकता है, तो ऑफलाइन टिकट लेने वाले यात्रियों को यह सुविधा क्यों नहीं? कोर्ट ने कहा कि यह अंतर समझ से परे है और रेलवे को इसकी वजह स्पष्ट करनी होगी. जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच रेलवे सिस्टम और यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही है.

इसी दौरान, अदालत ने रेलवे की ओर से दाखिल रिपोर्ट का अध्ययन किया और पाया कि ऑनलाइन टिकट वालों को ही दुर्घटना बीमा मिलता है, जबकि लाखों ऑफलाइन टिकट खरीदने वाले यात्रियों को इसका लाभ नहीं दिया जाता.

इस पर कोर्ट ने ASG विक्रमजीत बनर्जी से पूछा, "ऑनलाइन और ऑफलाइन टिकट खरीदने वालों के बीच भेद क्यों? क्या सब यात्रियों की सुरक्षा बराबर जरूरी नहीं?"

पहले ट्रैक और क्रॉसिंग की सुरक्षा सुधारें: सुप्रीम कोर्ट

रेलवे की रिपोर्ट का निरीक्षण करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुधार की शुरुआत वहीं से होनी चाहिए, जहां खतरा सबसे ज्यादा है. रेलवे ट्रैक और रेलवे क्रॉसिंग.

कोर्ट ने कहा कि इन दोनों जगहों की सुरक्षा बेहतर होगी तो बाकी समस्याओं का समाधान भी स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ेगा. रेलवे को इन क्षेत्रों में ठोस कदम उठाकर अपने सुधारों की विस्तृत, बेहतर और स्पष्ट टाइमलाइन के साथ नई रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट हुआ असंतुष्ट

ASG ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्ट में जो मुद्दे हैं, वे रेलवे की प्राथमिकता सूची नहीं, बल्कि वे क्षेत्र हैं जिन पर काम चल रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि रेलवे ने जो करने की योजना बताई है, उसकी कोई तय समयसीमा नहीं है, जबकि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर स्पष्ट टाइमलाइन ज़रूरी है.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि रेलवे नई, विस्तृत और बेहतर हलफनामा (Affidavit) दाखिल करे. इसमें खासकर दो मुद्दों पर ध्यान दिया जाए. ट्रैक सुरक्षा और क्रॉसिंग सुरक्षा. साथ ही, ऑनलाइन, ऑफलाइन टिकट बीमा भेदभाव पर भी विस्तार से जवाब दिया जाए.

अगली सुनवाई जनवरी 2026 में

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि रेलवे को बाकी सुरक्षा सुधारों पर भी अपना काम जारी रखना चाहिए और पूरे सिस्टम में बदलाव लाने का प्रयास तेज करना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी, जिसमें रेलवे के विस्तृत जवाब और सुधार योजनाओं की समीक्षा की जाएगी.