West Bengal: बेहतर दैनिक मजदूरी और जमीन के अधिकार को लेकर उम्मीद पाले हुए हैं चाय बागान मजदूर
चाय की फसल (Photo Credits: Facebook)

कोलकाता, 9 अप्रैल : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections) के चौथे और पांचवें चरण में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मतदाताओं का एक वर्ग वोट डालेगा जिसमें करीब 4.5 लाख चाय बगान (Tea Plantation) मजदूर शामिल हैं. ये मजदूर बेहतर न्यूनतम दैनिक मजदूरी और अपने जमीन के अधिकार को लेकर उम्मीद पाले हुए हैं. उत्तर बंगाल के दुआर्स और तराई क्षेत्र के 12 विधानसभा क्षेत्रों में क्रमश: शनिवार और 17 अप्रैल को चुनाव होंगे. यहां मजदूर संगठनों ने मजदूरों के कल्याण के लिए बार-बार अपील की है. ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन प्लांटेशंस के समन्वयक जियाउल आलम ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम दैनिक मजदूरी को 2014 से ही अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. उन्होंने कहा कि मामले पर गौर करने के लिए तृणमूल कांग्रेस की तरफ से गठित सलाहकार समिति ने 2018 में ही रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन इसे रोककर रखा गया है.

आलम ने कहा, ‘‘वर्तमान शासन ने अंतरिम वृद्धि कर प्रतिदिन 202 रुपये की है जो 176 रुपये प्रतिदिन से अधिक है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि हर चीज पर गौर करते हुए न्यूनतम दैनिक मजदूरी 442 रुपये तय की जाए.’’ आलम ने कहा कि दूसरा बड़ा मुद्दा मजदूरों को जमीन का अधिकार देने से जुड़ा हुआ है, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल में किसी भी चाय बागान मजदूर के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है. इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.’’ इंटक से संबद्ध तराई-दुअर्स प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष नाकुर सामंत ने कहा कि मुद्दे का जल्द समाधान किया जाएगा. सामंत ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी सरकार ने चाय बागान मजदूरों के लिए ‘चा सुंदरी’ योजना के तहत तीन लाख घर बनाने का निर्णय किया है. लेकिन कुछ अन्य बागान हैं जो बंद हो गए या परित्यक्त हैं, जहां मुकदमेबाजी चल रही है.’’ भारतीय मजदूर संघ नेता कुसुम लामा ने कहा कि चाय बागान मजदूर चिकित्सा सुविधाओं और स्वच्छ पेयजल के लाभ से वंचित हैं. यह भी पढ़ें : Maharashtra Lockdown: महाराष्ट्र में लग सकता है 3 हफ्ते का पूर्ण लॉकडाउन, राज्य सरकार के मंत्री ने दिए संकेत

लामा ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये की जाए. भाजपा अगर पश्चिम बंगाल में सत्ता में आती है तो हमें उम्मीद है कि वे यह दर तय करेंगे.’’ चाय बागान के शीर्ष संगठन इंडियन टी एसोसिएशन का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से रोजाना मजदूरी में लगातार बढ़ोतरी हुई है और यह आगे भी बढ़ेगी. आईटीए के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा, ‘‘न्यूनतम रोजाना मजदूरी बड़ा मुद्दा नहीं है. चुनावी मौसम में यह राजनीतिक खेल का हिस्सा है.’’ दुआर्स-तराई क्षेत्र में 300 से अधिक चाय बागान हैं जिनमें कुमारग्राम, कालचीनी, मदारीहाट, अलीपुरदुआर, जलपाईगुड़ी और डाबग्राम फुलबारी जैसे चाय उत्पादक क्षेत्र शामिल हैं.