भोपाल, 4 दिसंबर : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2023 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 34 सीट में से आधे से अधिक सीट जीतने में सफल रही लेकिन 2020 में कांग्रेस से बगावत कर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं को इस बार हार का स्वाद चखना पड़ा. मार्च 2020 में 22 विधायकों के विद्रोह के कारण कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी. वे बाद में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे, जो उस समय सत्ता में वापस आ गई थी.
इस बार के चुनाव में भाजपा ने सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 34 सीट में से 18 सीट जीतीं, जबकि कांग्रेस को 16 से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव के नतीजे रविवार को घोषित किए गए. सिंधिया ने उस क्षेत्र में 85 रैलियां और रोड शो किये। इस क्षेत्र पर कई शताब्दियों तक उनके परिवार का शासन था. रविवार को हारने वाले कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं में डबरा से इमरती देवी, मुरैना से रघुराज सिंह कंसाना, अशोकनगर से जजपाल सिंह जग्गी, बदनावर से राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव , पोहरी से प्रदेश मंत्री सुरेश धाकड़ राठखेड़ा और बमोरी से महेंद्र सिसोदिया शामिल हैं.
वहीं, जीतने वालों में ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर, सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, सांची से डॉ. प्रभुराम चौधरी, सांवेर से तुलसीराम सिलावट के अलावा मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव, हाटपिपलिया से मनोज चौधरी और भितरवार से मोहन सिंह राठौड़ शामिल हैं. वर्ष 2020 में पाला बदलने वाले सिंधिया के करीबी माने जाने वाले 19 लोगों में से भाजपा ने इस बार छह को टिकट देने से इनकार कर दिया, जिनमें जसवंत जाटव, ओ पी एस भदौरिया, गिरिराज धनोतिया और मुन्नालाल गोयल शामिल हैं. शेष 13 के लिए यह मिश्रित परिणाम रहा क्योंकि उनमें से छह हार गए. कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में 26 सीट जीती थीं, जबकि भाजपा और बहुजन समाज पार्टी क्रमशः सात और एक सीट पर विजयी रही थीं.
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