
गोरखपुर, 9 मार्च : कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित एवं हाथ से चलने वाली एक्स-रे मशीनें क्षय रोग का शीघ्र पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और इनकी मदद से उत्तर प्रदेश में 6.8 लाख लोगों में इस रोग का पता लगाने में सफलता मिली है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. वर्ष 2024 में अधिसूचित 6.8 लाख मामलों में से सार्वजनिक क्षेत्र से 4.29 लाख मरीज और निजी क्षेत्र से 2.5 लाख मरीज अधिसूचित किए गए.
एआई-सक्षम और हाथ में पकड़ी जा सकने वाली ये एक्स-रे मशीनें देश से क्षय रोग के उन्मूलन के प्रयासों में तेजी लाने के उद्देश्य से जारी 100-दिवसीय अखिल भारतीय गहन क्षय रोग उन्मूलन अभियान के तहत जांच में मदद कर रही हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से आईसीएमआर द्वारा किए गए ‘भारत में राष्ट्रीय क्षय रोग प्रसार सर्वेक्षण’ (2019-2021) के अनुसार, एक्स-रे इस रोग की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, क्योंकि यदि इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता तो रोग के लगभग 42.6 प्रतिशत मामलों का पता नहीं लग पाता. यह भी पढ़ें :सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग उल्लंघन के लिए ‘Nestle India’ को जारी की चेतावनी
राज्य क्षय रोग उन्मूलन अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि जब मरीज बीमारी के शुरुआती चरण में होता है और उसमें बीमारी के सामान्य लक्षण नहीं होते, लेकिन तब भी यह मशीन इस बीमारी का पता लगाने में मदद कर सकती है. डॉ. भटनागर ने कहा, ‘‘ये एक्स-रे मशीनें क्षय रोग का शुरुआती चरण में पता लगाने की दिशा में परिवर्तनकारी साबित हो रही हैं.’’