Kalashnikov Rifle: दुनिया की सबसे खूंखार राइफल है कलाश्निकोव! जिसका मास्को आतंकी हमले में हुआ इस्तेमाल, जानें कितना घातक है ये हथियार

हाल ही में मॉस्को क्रोकस सिटी हॉल में हुई आतंकी घटना में इस्तेमाल की गई कलाश्निकोव राइफल दुनिया की सबसे ज्यादा जानी-मानी और खतरनाक राइफलों में से एक है. इस हमले में अबतक 115 लोगों की मौत हुई है. जिस राइफल ने उनकी जान ली वो बेहद घातक है. इस राइफल की खूबियों और खतरों को समझना जरूरी है.

अत्यधिक घातक और विश्वसनीय

कलाश्निकोव राइफलको मिखाइल कलाश्निकोव ने डिजाइन किया था. इसे साल 1947 में सोवियत संघ की सेना में शामिल किया गया था. यह राइफल बहुत मजबूत होती है और धूल या कीचड़ में भी काम करती रहती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी सरलता है. इसे कम समय में साफ किया और जोड़ा जा सकता है. इतना ही नहीं, इसे चलाना भी आसान है. जंग के मैदान में सैनिकों के लिए ये खूबियां काफी महत्वपूर्ण हैं. इसे भी पढ़ें- Moscow Concert Hall Attack: मॉस्को आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 115 हुई, अब तक 11 गिरफ्तार

कलाश्निकोव राइफल से 7.62mm की गोलियां दागी जाती हैं. ये गोलियां काफी तेज गति से चलती हैं और शरीर में गंभीर चोट पहुंचा सकती हैं. राइफल को फायरिंग के दो तरीकों से चलाया जा सकता है - एक बार में एक गोली या फिर लगातार गोलियों की बौछार.

कुछ कलाश्निकोव राइफलों के नाम

  • AK-47 (एके-47) - सबसे प्रसिद्ध मॉडल (most famous model)
  • AKM (एकेएम) - हल्का मॉडल (lightweight model)
  • AK-74 (एके-74) - छोटी गोली का उपयोग (uses smaller caliber bullets)
  • AKS-74U (एकेएस-74यू) - छोटा और फोल्डेबल मॉडल (compact and foldable model)

इन राइफलों की खासियत

  • इस राइफल में एक बार में 30 गोलियां भर सकते हैं.
  • गोली की रफ्तार 710 मीटर प्रति सेकंड
  • राइफल से एक सेकंड में 6 गोली निकलती हैं, यानी एक मिनट में लगभग 360 राउंड फायर.
  • इसका Akm वर्जन इस समय दुनिया का सबसे हल्का राइफल का वर्जन है. फुल लोड होने के बाद भी इसका वजन मात्र 4 किलो होता है.
  • AK47 में Automatic और Semi Automatic दोनों तरह से काम कर सकती है.
  • AK-47 राइफल एक अकेली ऐसी राइफल है जो पानी, मिट्टी या रेत किसी भी वातावरण में काम कर सकती है.
  • यह बंदूक मात्र 8 पुर्जों से मिलकर बनती है और और इन्हें 1 मिनट में जोड़ा जा सकता है.
  • AK-47 300 मीटर की दूरी तक अचूक निशाना लगा सकती है. शूटर अच्छा हो तो इससे 800 मीटर तक की दूरी पर भी निशाना लगाया जा सकता है.
  • आधुनिक AK-47 राइफल में ग्रेनेड लांचर भी जोड़ा जा सकता है
  • इस गन की लाईफ 6000 से 15000 राउंड फायर तक होती है.

सरलता का दुष्परिणाम: गलत हाथों में तबाही

कलाश्निकोव राइफल की सबसे बड़ी खासियत - सरलता - ही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी बन जाती है. इसे चलाना सीखना आसान है और इसकी बनावट इतनी जटिल नहीं है. नतीजा ये हुआ कि ये राइफल सिर्फ सेनाओं तक ही सीमित नहीं रही. आतंकी संगठनों और अपराधियों के लिए भी ये पसंदीदा हथियार बन गया.

कलाश्निकोव राइफल का उत्पादन भी काफी आसानी से किया जा सकता है, जिससे इसकी काला बाजार में भी आसानी से उपलब्धता हो जाती है. यही कारण है कि कई देशों में गृहयुद्ध और आतंकी घटनाओं में अक्सर कलाश्निकोव राइफलका इस्तेमाल देखने को मिलता है.

जिम्मेदारी और नियंत्रण की जरूरत

कलाश्निकोव राइफल जैसी खतरनाक राइफल के गलत हाथों में पड़ने से होने वाले विनाश की कहानी क्र बार सामने आती है. इससे ये बात साफ हो जाती है कि सख्त हथियार नियंत्रण कानून और आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बहुत जरूरी है. साथ ही आम लोगों को भी हथियारों के खतरों के प्रति जागरूक होना चाहिए. तभी हम एक सुरक्षित दुनिया बनाने की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं.