
मथुरा, उत्तर प्रदेश: पिछले कुछ दिनों से बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर का वृंदावन के स्थानीय लोग काफी विरोध कर रहे है. कई बार इन लोगों की ओर से प्रदर्शन भी किया गया था. लेकिन अब मथुरा की बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी ने एक बयान दिया है. हेमा मालिनी ने इसको लेकर बयान दिया है कि बांके बिहारी कॉरिडोर जरुर बनेगा, जो लोग विरोध कर रहे है, उन्हें कई और जाकर बसने के लिए बोलना पड़ेगा. उनके इस बयान से अब वृंदावन के लोगों की नाराजगी उन्हें झेलनी पैड सकती है. हेमा मालिनी का यह बयान एक वीडियो क्लिप के जरिए सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. वीडियो में वह स्पष्ट रूप से कहती दिख रही हैं कि 'कॉरिडोर तो बनकर रहेगा.इस बयान के बाद ब्रज क्षेत्र के नागरिकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है.
कई लोगों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उनकी तीखी आलोचना की है. इस वीडियो को सोशल मीडिया X पर @iChauhanRJatin1 नाम के हैंडल से शेयर किया गया है.ये भी पढ़े:Mathura: बीजेपी उम्मीदवार हेमा मालिनी ने लोगों से अपील कर कहा,’ वोट डालने जरुर जाए और बीजेपी को जीताने के लिए आपको वोट देना होगा – Video
बीजेपी सांसद हेमा मालिनी का विवादित बयान
कॉरिडोर भगवान चाहेंगे तो जरूर बन जाएगा , आपकी मर्जी से नहीं...#घमंडी हेमा मालिनी जी...
और एक बात कॉरिडोर की बात हटाओ , वहां के लोग आपसे वैसे भी हजारों मुद्दों पर नाराज़ हैं तो आप आम जनता में जाकर पहले उन समस्याओं का निवारण कीजिए...#HemaMalini
— RJatin Chauhan (@iChauhanRJatin1) July 5, 2025
सरकार की योजना और बजट
उत्तर प्रदेश सरकार ने बांके बिहारी मंदिर परिसर को विस्तार देने और भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से इस कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए सरकार ने 150 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है. साथ ही सरकार ने कोर्ट में जाकर मंदिर ट्रस्ट की राशि को इस्तेमाल करने की अनुमति भी मांगी थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को यह तो इजाजत दी कि वह अतिक्रमण हटाकर कॉरिडोर निर्माण कर सकती है, लेकिन मंदिर के बैंक खाते की राशि को इस्तेमाल करने से मना कर दिया गया. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में श्रद्धालुओं की आस्था या दर्शन में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए.
जनता में नाराजगी
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का कहना है कि कॉरिडोर के कारण उन्हें अपनी पुरानी दुकानें और मकान छोड़ने पड़ेंगे, जो कि उनकी रोज़ी-रोटी और धार्मिक पहचान से जुड़ी हुई हैं. वे सरकार से इस योजना को फिर से विचार करने की मांग कर रहे हैं.