VIDEO: रूस ने यूक्रेन पर किया भीषण हवाई हमला, ईरानी ड्रोन्स ने मचाई तबाही, F-16 पायलट की मौत

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने एक और भयानक मोड़ ले लिया है. रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया है, जिसमें सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया. इस भीषण हमले में यूक्रेन को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उसने अपने एक जाँबाज़ F-16 फाइटर पायलट को खो दिया है.

एक रात में 500 से ज़्यादा हमले

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने दुनिया को बताया कि यह हमला कितना बड़ा था. उनके मुताबिक, रूस ने एक ही रात में 537 हथियारों से धावा बोला, जिसमें 477 ड्रोन और 60 मिसाइलें शामिल थीं. इन हमलों में ज़्यादातर ईरान में बने 'शाहेद' ड्रोन इस्तेमाल किए गए, जो अपने विनाश के लिए जाने जाते हैं.

हमलों का निशाना सिर्फ़ सैनिक ठिकाने नहीं, बल्कि आम लोगों के घर भी थे. स्मिला शहर में एक रिहायशी इमारत पर हुए हमले में एक बच्चा घायल हो गया.

एक हीरो की शहादत 

इस हमले की सबसे दुखद ख़बर F-16 पायलट मकस्यीम उस्तेमेंको की मौत है. वह अपने देश की रक्षा करते हुए रूसी हमलों को रोकने की कोशिश कर रहे थे, जब वे खुद इसका शिकार हो गए. राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि अपनी शहादत से पहले पायलट मकस्यीम ने दुश्मन के 7 हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर दिया था. इस हमले में कुल 2 लोगों की मौत हुई और एक बच्चे समेत 6 लोग घायल हुए हैं.

यूक्रेन का जवाब और भारी नुक़सान

यूक्रेन की वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लगभग 249 ड्रोन मार गिराने का दावा किया है. इसके अलावा, 226 ड्रोन्स को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जाम करके आसमान में ही भटका दिया गया. लेकिन इतने बड़े हमले को पूरी तरह रोक पाना नामुमकिन था, जिसके चलते यूक्रेन के शहरों और ज़रूरी इंफ़्रास्ट्रक्चर (जैसे बिजली-पानी की लाइनें) को भारी नुक़सान पहुँचा है.

ज़ेलेंस्की की दुनिया से अपील 

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस हमले के बाद रूस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "मॉस्को तब तक नहीं रुकेगा जब तक उसके पास हमला करने की ताक़त है." उन्होंने दुनिया के देशों से अपील की है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन पर और ज़्यादा दबाव बनाया जाए ताकि इस युद्ध को रोका जा सके.

यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में नाटो देशों की बैठक हुई थी. बैठक में यूक्रेन को मदद जारी रखने का वादा तो किया गया, लेकिन उसे नाटो में शामिल करने पर कोई ठोस फ़ैसला नहीं हो सका. यह हमला दिखाता है कि तीन साल से चल रहा यह युद्ध अभी और भी गंभीर हो सकता है.