बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा पर फटा सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी, 100000 वर्ग KM में फैला लावा का महासागर!

नासा के जूनो अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति के चंद्रमा आयो के दक्षिणी गोलार्ध में एक विशाल गर्म स्थान खोजा है. वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में अब तक के सबसे तीव्र ज्वालामुखीय विस्फोटों में से एक को दर्ज किया है, जो कि एक ऐसे चंद्रमा के लिए भी आश्चर्यजनक है, जहां 400 से अधिक ज्वालामुखी मौजूद हैं.

आयो को सौर मंडल में सबसे अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय खगोलीय पिंड माना जाता है, लेकिन हाल ही में जूनो मिशन द्वारा देखी गई घटनाएं इस चंद्रमा के लिए भी असाधारण हैं.

बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव

आयो का यह ज्वालामुखीय उथल-पुथल बृहस्पति की प्रबल गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण होता है. पृथ्वी के चंद्रमा के आकार के बराबर यह चंद्रमा बृहस्पति के अत्यधिक समीप है और इसकी अंडाकार कक्षा के कारण हर 42.5 घंटे में एक बार ग्रह की परिक्रमा करता है. जब इसकी दूरी बदलती है, तो बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण बल आयो को अत्यधिक दबाव में रखता है. इस प्रक्रिया से उत्पन्न घर्षण ऊर्जा इसके आंतरिक भाग को गर्म कर देती है, जिसके कारण सतह पर लगातार लावा के फव्वारे और राख निकलती रहती है.

आयो पर अब तक का सबसे विशाल गर्म स्थान

नासा के जूनो मिशन की टीम ने आयो के दक्षिणी गोलार्ध में एक विशाल गर्म स्थान देखा है, जिसकी तुलना की जाए तो यह पृथ्वी की सुपीरियर झील से भी बड़ा है. इतना ही नहीं, यह ज्वालामुखी विस्फोट इतनी ऊर्जा उत्पन्न कर रहा है कि यह दुनिया के सभी पावर प्लांट्स की कुल ऊर्जा से छह गुना अधिक है. इस खोज का श्रेय जूनो मिशन के ‘जुवियन इन्फ्रारेड ऑरोरल मैपर’ (JIRAM) उपकरण को जाता है, जिसे इटली की अंतरिक्ष एजेंसी ने विकसित किया है.

आयो के नज़दीकी फ्लाइबाई

नासा के अनुसार, जूनो मिशन ने अपनी विस्तारित अवधि में आयो के कई नज़दीकी फ्लाइबाई किए हैं. दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 में किए गए फ्लाइबाई में अंतरिक्ष यान आयो की सतह से मात्र 1,500 किलोमीटर की दूरी से गुज़रा. हालांकि, 27 दिसंबर 2024 को हुए नवीनतम फ्लाइबाई के दौरान यह लगभग 74,400 किलोमीटर की दूरी से गुज़रा, लेकिन इसके बावजूद JIRAM उपकरण ने इस विशाल गर्म स्थान को दर्ज किया.

सबसे तीव्र ज्वालामुखीय विस्फोट

जूनो मिशन के सह-अन्वेषक एलेसांद्रो मुरा के अनुसार, "JIRAM ने आयो के दक्षिणी गोलार्ध में इतनी तीव्र अवरक्त चमक दर्ज की कि हमारे डिटेक्टर तक संतृप्त हो गए. इससे यह संकेत मिलता है कि यह एक विशाल भूमिगत मैग्मा कक्ष का हिस्सा हो सकता है. इस डेटा से पुष्टि होती है कि यह आयो पर अब तक दर्ज किया गया सबसे तीव्र ज्वालामुखीय विस्फोट है."

JIRAM टीम का अनुमान है कि यह नया गर्म स्थान लगभग 1,00,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इससे पहले आयो का सबसे बड़ा ज्वालामुखीय क्षेत्र 'लोकी पाटेरा' था, जिसका आकार लगभग 20,000 वर्ग किलोमीटर था. इस नए गर्म स्थान से निकलने वाली कुल ऊर्जा 80 ट्रिलियन वाट से अधिक मापी गई है.

ज्वालामुखी विस्फोटों के संभावित प्रभाव

आयो पर इस तीव्र विस्फोट के कारण इसकी सतह में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस प्रकार के बड़े विस्फोटों से ज्वालामुखीय राख के जमाव, छोटे लावा प्रवाह, और सल्फर तथा सल्फर डाइऑक्साइड युक्त प्लम डिपॉज़िट बन सकते हैं.

आयो पर नजर रखेगा जूनो

जूनो अंतरिक्ष यान 3 मार्च 2025 को आयो के एक और दूरस्थ फ्लाइबाई के दौरान इस गर्म स्थान का फिर से अध्ययन करेगा और इस क्षेत्र में हुए बदलावों को दर्ज करेगा. इसके अलावा, पृथ्वी से भी इस क्षेत्र की जांच की जा सकती है.

जूनो मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक स्कॉट बोल्टन के अनुसार, "यह नया गर्म स्थान हमारे लिए सिर्फ रिकॉर्ड बुक अपडेट करने का अवसर नहीं है, बल्कि इससे हमें ज्वालामुखी गतिविधि को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी. यह न केवल आयो, बल्कि अन्य ज्वालामुखीय ग्रहों और चंद्रमाओं के अध्ययन में भी सहायक साबित हो सकता है."

नासा का जूनो मिशन बृहस्पति और इसके चंद्रमाओं के बारे में अभूतपूर्व जानकारी प्रदान कर रहा है. आयो पर हाल ही में देखी गई सबसे तीव्र ज्वालामुखीय गतिविधि न केवल इस चंद्रमा की संरचना को समझने में मदद करेगी, बल्कि यह पृथ्वी और अन्य खगोलीय पिंडों पर होने वाली ज्वालामुखीय घटनाओं के अध्ययन में भी योगदान दे सकती है. अब वैज्ञानिक इस विशाल गर्म स्थान और इसकी उत्पत्ति पर गहन शोध करने की तैयारी कर रहे हैं.