Bhaum Pradosh 2021: क्या है भौम प्रदोष? जानें इस दिन का महत्व! पूजा-विधि, मुहूर्त और खुशहाल जीवन के पांच उपाय!
भगवान शिव (Photo Credits: Pixabay)

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष 22 जून 2021 को पड़ने वाला भौम प्रदोष व्रत अति दुर्लभ संयोग में होने से शुभ फल देने वाला है. सनातन धर्मानुसार प्रत्येक हिंदू मास की प्रत्येक 13वीं तिथि को प्रदोष कहा जाता है. इस दिन हिंदू समुदाय के लोग प्रदोष का व्रत रखते हैं. प्रदोष का यह दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष की तिथि यदि मंगलवार के दिन पड़ती है तो इस भौम प्रदोष कहा जाता है, चूंकि हनुमान जी को भगवान भोलेनाथ का रुद्रावतार कहा जाता है कि अतः ऐसी मान्यता है कि भौम प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी भी प्रसन्न होते हैं. इसका दूसरा लाभ यह है कि भौम प्रदोष पर उपवास एवं पूजा-अर्चना करने से जातक की कुण्डली से मंगल दोष मिट जाता है. इसलिए 22 तारीख को पड़ने वाला भौम प्रदोष बहुत ही फलदायी होता है.

भौम प्रदोष का महत्व:

हिंदी पंचांग के अनुसार किसी की कुण्डली में मंगल का मजबूत होना उसके भाग्यशाली होने का संकेत हो सकता है. इस दिन व्रत-पूजन करने से व्यक्ति को कर्जे से मुक्ति मिलती है, और वह सुखी एवं समृद्धिशाली जीवन जीता है. इस भौम प्रदोष के दिन शुक्र कर्क राशि में प्रवेश करने जा रहा है. शुक्र के अपने शत्रु (कर्क राशि) के घर जाने के बावजूद भौम प्रदोष का दिन संपन्नता बढ़ाने वाला होता है. शुक्र भोग-विलास, संपन्नता एवं भौतिक सुख देने वाला ग्रह माना जाता है. इस दिन बुध का मार्गी होना व्यापार-व्यवसाय, बौद्धिक कार्य आदि के लिए बेहतर दिन है.

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भौम प्रदोष की पूजा विधि?

हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए वे भोले भंडारी भी कहे जाते हैं. प्रदोष के दिन भगवान शिव को सच्ची आस्था से विल्व-पत्र और जल अर्पित करने मात्र से वे भक्त पर प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे देते हैं. प्रदोष के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर प्रदोष व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवा रंग के रेशमी कपड़ों से भगवान शिव के मण्डप को सजा कर उसमें शिवलिंग स्थापित करें. अब आटा और हल्दी से स्वास्तिक बनाकर भगवान शिव को विल्व-पत्र, भांग, धतूरा, मदार का फूल, एवं पंचगव्य अर्पित करें. शिवजी के पंचाक्षर मंत्र से आराधना करें तथा संकल्प लेकर फलाहार व्रत रखें. अगले दिन स्नान-दान करने के बाद व्रत का पारण करें.

भौम प्रदोष की तिथि एवं मुहूर्त काल:

प्रदोष त्रयोदशी प्रारंभः प्रातः 10.22 बजे (22 जून 2021 मंगलवार) से

प्रदोष त्रयोदशी समाप्तः प्रातः 06.59 बजे (23 जून मंगलवार 2021) तक

यद्यपि भौम प्रदोष काल 22 जून को शाम 07.22 बजे से रात्रि 09.23 बजे तक रहेगा. इसी काल में प्रदोष की पूजा करें. इस दिन शिवजी की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, एवं रोग-दोष से मुक्ति मिलती है.

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निम्न उपाय आपके जीवन को खुशहाल बना सकते हैं:

* स्नान करने के पश्चात किसी प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करें.

* भगवान शिव को जनेऊ चढ़ाने के बाद अबीर-गुलाल से श्रृंगार करते हुए ओम नमः शिवाय का जाप करें.

* सूर्यास्त के पश्चात माता की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर गुलाब का पुष्प चढायें और देवी माँ को खीर का भोग लगायें.

* कर्ज मुक्ति और आर्थिक समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करते हुए भगवान शिव की षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना कर शिव तांडव स्तोत्र 11 बार जाप करें.

* शिवजी को 108 विल्व-पत्र, 21 धतूरा और मदार के पुष्प अर्पित करने से तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.