पुणे: महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मियां जोरों पर हैं. 288 सीटों वाली विधानसभा के लिए वोटों की गिनती 23 नवंबर को होनी है. इस बीच, पुणे में लगाए गए पोस्टर्स ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है. इन पोस्टर्स में राज्य के डिप्टी सीएम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बताया गया. हालंकि, यह पोस्टर्स अब हटा दिए गए हैं, लेकिन इनसे अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
मुख्यमंत्री पद की रेस: महायुति में किसकी दावेदारी?
महायुति (बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन) के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान बढ़ती नजर आ रही है. शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रवक्ता और विधायक संजय शिरसाट ने मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हुए कहा, "जनता ने अपने वोट के जरिए शिंदे जी पर भरोसा जताया है. मुख्यमंत्री पद पर उनका हक बनता है."
चुनाव प्रचार में शिंदे का चेहरा प्रमुख था, जिससे उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. दूसरी ओर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रवीण दरेकर ने इशारा किया कि डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं. दरेकर ने कहा, "अगर बीजेपी से कोई मुख्यमंत्री बनेगा, तो वह देवेंद्र फडणवीस होंगे."
एनसीपी की ओर से अमोल मिटकरी ने डिप्टी सीएम अजित पवार का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया. मिटकरी ने दावा किया, "परिणाम कुछ भी हों, एनसीपी किंगमेकर की भूमिका में होगी."
अजित पवार: मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा
अजित पवार का नाम लंबे समय से "सीएम इन वेटिंग" के रूप में चर्चा में है. अजित पवार अब तक चार बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम रह चुके हैं. अगर महायुति में एनसीपी पर्याप्त सीटें जीतती है, तो अजित पवार मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बन सकते हैं.
महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी (एमवीए)
इस बार चुनाव में महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है. एमवीए गठबंधन (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना [उद्धव गुट]) ने भी अपनी जीत का दावा किया है. दोनों गुटों ने अपने-अपने नेताओं को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया है, जिससे सियासी माहौल और गरमा गया है.
महाराष्ट्र की राजनीति हमेशा से अनिश्चितताओं और दांव-पेचों से भरी रही है. जैसे-जैसे 23 नवंबर की तारीख नजदीक आ रही है, महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है. इतना कहा जा सकता है कि सत्ता की राह आसान नहीं है. अब यह देखना बाकी है कि महाराष्ट्र को नया नेतृत्व किस रूप में मिलता है और यह राजनीतिक समीकरण क्या मोड़ लेते हैं.