'कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है', IPC में बदलाव को अमित शाह ने ठहराया उचित

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को बदलने की आवश्यकता को शनिवार को उचित ठहराया और कहा कि कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है.

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    'कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है', IPC में बदलाव को अमित शाह ने ठहराया उचित

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को बदलने की आवश्यकता को शनिवार को उचित ठहराया और कहा कि कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है.

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    Photo Credits: IANS Twitter

    देहरादून, सात अक्टूबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को बदलने की आवश्यकता को शनिवार को उचित ठहराया और कहा कि कोई भी कानून 50 साल के बाद पुराना हो जाता है. शाह ने यहां 49वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘1860 से आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.’’

    उन्होंने कहा, ‘‘अपराध का पैमाना बदल गया है और उन्हें अंजाम देने का तरीका भी बदल गया है, लेकिन उनसे निपटने के तरीके में कोई बदलाव नहीं आया है.’’ गृह मंत्री ने कहा कि इसका देश की अपराध न्याय प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ा है. संसदीय समिति के विचाराधीन तीन नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता (आईपीसी की जगह), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (सीआरपीसी की जगह) और भारतीय साक्ष्य (साक्ष्य अधिनियम की जगह) के बारे में बात करते हुए शाह ने कहा कि संसद द्वारा पारित होने के बाद तीन पुराने कानून बदल जायेंगे. Rajasthan Caste Census: बिहार के बाद अब राजस्थान में भी होगी जातिगत जनगणना, सीएम अशोक गहलोत का बड़ा ऐलान

    शाह ने कहा कि इससे मामलों के निपटारे में तेजी आएगी क्योंकि उनमें अत्यधिक देरी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय से लेकर अंतिम पुलिस स्टेशन तक कई सुधारों की योजना ‘‘अमृत काल’’ के लिए बनायी गयी है और अब उन्हें जमीन पर लागू करने का समय आ गया है. शाह ने कहा कि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस में छह विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें 5जी युग में पुलिसिंग, नशीले पदार्थ, सोशल मीडिया की चुनौतियां, सामुदायिक पुलिसिंग, आंतरिक सुरक्षा, पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के बीच समन्वय शामिल हैं.

    केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उठाए गए विषयों के दायरे में देश की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और सीमा सुरक्षा आदि आते हैं. संप्रग के दस वर्षों और मोदी सरकार के नौ वर्षों के बीच तुलना करते हुए, शाह ने जम्मू कश्मीर, वाम चरमपंथ प्रभावित राज्यों और उत्तर-पूर्व में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट का हवाला दिया.

    गृह मंत्री ने कहा, ‘‘इन तीनों क्षेत्रों में 2004 से 2014 तक हिंसक घटनाओं की संख्या 33,200 थी, जो 2014-2023 के बीच नौ वर्षों में घटकर 12,358 हो गई. यहां तक कि इन क्षेत्रों में सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मौतों में भी गिरावट हुयी है और यह संख्या 11,947 से कम होकर 3,240 हो गयी है.

    शाह ने आजादी के 100वें साल यानी 2047 तक भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए मजबूत और सामूहिक प्रयास का आह्वान किया.

    उन्होंने कहा, ‘‘हमें उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर क्षेत्र में यथासंभव कड़ी मेहनत करनी होगी. लेकिन विकास के लिए पहली शर्त मजबूत कानून व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और हमारी सीमाओं की सुरक्षा है.’’ उन्होंने कहा कि उस लक्ष्य को हासिल करने का पूरा रोडमैप पुलिस कांग्रेस के दौरान रखा जाएगा.

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