निर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड पर पुनर्विचार से किया इनकार, खारिज की दोषी अक्षय कुमार सिंह की अर्जी
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: देश को झकझोर देने वाले निर्भया बलात्कार और हत्याकांड मामलें में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए फांसी को रोकने से इनकार कर दिया है. दोषी अक्षय कुमार सिंह (Akshay Kumar Singh) की पुनर्विचार याचिका (Review Petition) को खारिज करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हमें जांच और सुनवाई में कोई खामी नहीं मिली है. इसलिए मृत्युदंड पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है. इसके बाद अब दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटीशन एकमात्र विकल्प रह गया है.

जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच के सामने अक्षय के वकील ने ब्लैक वारंट किताब का उल्लेख किया, जिसमें निर्भया मामले के सह आरोपी राम सिंह की हत्या का संदेह जताया गया है. अक्षय के वकील ने कहा, "नए तथ्य निर्भया के कातिलों को 2017 में दी गई मौत की सजा की समीक्षा की मांग करते हैं." निर्भया कांड: तिहाड़ में फांसी-घर तैयार, मुजरिमों पर पाबंदियां बढ़ी!

इससे पहले चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग रखा था. जिस वजह से जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में सुनवाई की. अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की थी. वहीं दूसरी ओर निर्भया के दोषियों को एक महीने के भीतर फांसी पर लटकाने की मांग वाली याचिका पर भी सुनवाई टाल दी गई.

फैसले के बाद निर्भया की मां ने जताई खुशी-

दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि जब देश मे इतने लोगों की फांसी लंबित है दया याचिका दाखिल होने के बाद भी तो उनको ही लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों की जा रही है. दोषी के वकील ने मुख्य गवाह पर भी सवाल उठाए और कहा कि मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं.

शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल नौ जुलाई को इस मामले के अन्य तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकायें यह कहते हुये खारिज कर दी थीं कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है.

उल्लेखनीय है कि दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर 2012 की रात में छात्रा (निर्भया) के साथ चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था. इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. इस मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग होने के कारण बाल सुधार गृह में तीन साल की सजा काटकर छूट गया.