देश में सरकारी योजनाओं और वित्तीय समावेशन की पहल के कारण बीमा पैठ में काफी हद तक वृद्धि हुई है। मंगलवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में यह बात कही गई. फसल बीमा के लिए सरकार की प्रमुख पहल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) ने फसल बीमा के लिए प्रीमियम आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है. यह भी पढ़ें: 2023-24 में विकास को बढ़ती घरेलू मांग, पूंजी निवेश से मिलेगी मदद- आर्थिक सर्वे
सर्वेक्षण के मुताबिक आयुष्मान भारत (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) (एबी पीएमजेएवाई) का लक्ष्य द्वितीयक और तृतीयक अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है.
महत्वपूर्ण सरकारी पहल, मजबूत जनसांख्यिकीय कारक, एक अनुकूल नियामक वातावरण, विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए), उत्पाद नवाचार बीमा बाजार के विकास में सहायक साबित हो रहे हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार भारत आने वाले दशक में सबसे तेजी से बढ़ते बीमा बाजारों में से एक के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है. सन 2000 से 2020 तक देश में बीमा पैठ 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गई और 2021 में भी यही बनी रही.
2021 में भारत में जीवन बीमा की पैठ 3.2 प्रतिशत थी, जो उभरते बाजारों से लगभग दोगुनी और वैश्विक औसत से थोड़ी अधिक थी.
हालांकि भारत में अधिकांश जीवन बीमा उत्पाद बचत से जुड़े होते हैं, केवल एक छोटे से सुरक्षा घटक के साथ. इसलिए प्राथमिक कमाने वाले व्यक्ति की असामयिक मृत्यु की स्थिति में परिवारों को एक महत्वपूर्ण वित्तीय अंतर का सामना करना पड़ता है, जैसा कि सर्वेक्षण में कहा गया है.
स्विस रे इंस्टीट्यूट वल्र्ड इंश्योरेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जर्मनी, कनाडा, इटली और दक्षिण कोरिया से आगे भारत के 2032 तक दुनिया के शीर्ष छह बीमा बाजारों में से एक के रूप में उभरने की उम्मीद है.
इसके अलावा गैर-जीवन बीमा क्षेत्र में वृद्धि स्वास्थ्य कवरेज की मांग से प्रेरित होने की संभावना है, क्योंकि लोग कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में अधिक जागरूक हैं और सरकार द्वारा प्रायोजित जन स्वास्थ्य कार्यक्रम (आयुष्मान भारत) से सहयोग प्राप्त कर रहे हैं.
तृतीय पक्ष बीमा भी कई गुना बढ़ जाएगा, क्योंकि भारत का मध्यम वर्ग फैल रहा है और अधिक कारें खरीदता है.
भारत के बीमा बाजार का डिजिटलीकरण टेलीमैटिक्स और ग्राहक जोखिम मूल्यांकन से परे है. हाल के वर्षों में कई डिजिटल प्लेटफॉर्म उभरे हैं, जो बीमा खरीद सहित विभिन्न सेवाओं की पेशकश करते हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारत में बीमा घनत्व 2001 में 11.1 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया है (जीवन बीमा के लिए घनत्व 69 अमेरिकी डॉलर था और गैर-जीवन बीमा 2021 में 22 अमेरिकी डॉलर था)। देश में बीमा बाजार का अपेक्षाकृत तेजी से विस्तार.
वित्तीय वर्ष 22 के दौरान गैर-जीवन बीमाकर्ताओं (भारत के भीतर और बाहर) के सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम में साल-दर-साल 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो मुख्य रूप से स्वास्थ्य और मोटर सेगमेंट द्वारा संचालित है.
वित्त वर्ष 2012 में गैर-जीवन बीमाकतार्ओं के शुद्ध दावे 1.4 लाख करोड़ रुपया था.
वित्त वर्ष 2012 में जीवन बीमा प्रीमियम में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, इसमें नए व्यवसायों का योगदान जीवन बीमाकर्ताओं द्वारा प्राप्त कुल प्रीमियम का 45.5 प्रतिशत था. सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीवन बीमा उद्योग ने वित्त वर्ष 2012 में 5.02 लाख करोड़ रुपये का लाभ दिया, इसमें से 8.3 प्रतिशत लाभ मृत्यु दावों पर था.