स्कूलों में मोबाइल और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हैं जर्मनी के वित्त मंत्री
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में बच्चों के सोशल मीडिया और स्कूलों में फोन का इस्तेमाल करने को लेकर बहस जारी है. जर्मनी के वित्त मंत्री लार्स क्लिंगबाइल ने कहा है कि वह स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने के विचार से सहमत नहीं हैं.जर्मनी के वित्त मंत्री लार्स क्लिंगबाइल ने कहा है कि वह स्कूलों में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के विचार से सहमत नहीं हैं.

क्लिंगबाइल ने शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग की विटवॉटर्सरैंड यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह सही रास्ता है.” इस विश्वविद्यालय में डिजिटल विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया जाता है.

उन्होंने कहा, "इसके बजाय हमें यह देखना चाहिए कि हम आधुनिक शिक्षा में ‘गेमिफिकेशन' जैसी चीजों का उपयोग कैसे कर सकते हैं.”

गेमिफिकेशन क्या है

गेमिफिकेशन का मतलब है, कंप्यूटर और वीडियो गेम उद्योग से ली गई खेल-आधारित तकनीकों और स्किल को शिक्षा या स्वास्थ्य जैसे अन्य क्षेत्रों में लागू करना, ताकि सीखने की प्रक्रिया को अधिक रोचक और प्रभावी बनाया जा सके.

क्लिंगबाइल ने कहा कि उनका मानना है कि तकनीक को सीमित करने के बजाय शिक्षा में रचनात्मक रूप से शामिल करने की दिशा में सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें यह समझना होगा कि नई पीढ़ी की सीखने की शैली बदल रही है, और तकनीक इसका हिस्सा है.”

मैर्त्स ने किया था प्रतिबंध का समर्थन

क्लिंगबाइल, शनिवार और रविवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स के साथ हिस्सा ले रहे हैं.

मैर्त्स ने इसी महीने की शुरुआत में प्राइमरी स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया था. उन्होंने स्वीकार किया था कि 16 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के लिए सोशल मीडिया पर रोक लागू करना आसान नहीं होगा. लेकिन उन्होंने कहा था कि उन्हें उन देशों के प्रति "गहरी सहानुभूति” है जिन्होंने पहले से ऐसे कदम उठाए हैं.

मैर्त्स ने कहा था, "बच्चों को गणित, लेखन और पढ़ना सीखने की जरूरत है, ना कि मोबाइल फोन पर खेलने की.”

जर्मनी में जारी बहस

क्लिंगबाइल ने जोहान्सबर्ग में छात्रों से बातचीत के दौरान कहा, "आपको पता होना चाहिए कि इस समय जर्मनी में इस बात पर बहस चल रही है कि स्कूलों से स्मार्टफोन और सोशल मीडिया को कैसे हटाया जाए.”

उन्होंने कहा कि यह चर्चा केवल उपकरणों पर रोक लगाने की नहीं, बल्कि इस बात की है कि शिक्षा प्रणाली नई तकनीकों के प्रति किस तरह से अनुकूल हो सकती है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बात करते हुए क्लिंगबाइल ने कहा कि वह इसके बारे में "ज्यादा आशावादी बहस” चाहते हैं. उन्होंने कहा, "लोगों को यह चिंता है कि एआई से बहुत सी नौकरियां खत्म हो जाएंगी, लेकिन मैं मानता हूं कि इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे. हमें दोनों पहलुओं पर बात करनी चाहिए, खतरों पर भी और संभावनाओं पर भी.”

क्लिंगबाइल ने कहा कि प्रौद्योगिकी के प्रभाव को केवल खतरे के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में भी देखा जाना चाहिए. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे तकनीक को डर से नहीं, बल्कि विकास के उपकरण के रूप में देखें.

क्लिंगबाइल के अनुसार, आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे पारंपरिक मूल्यों जैसे एकाग्रता, अनुशासन और प्रत्यक्ष संवाद को डिजिटल माध्यमों के साथ संतुलित किया जाए. उन्होंने कहा कि शिक्षा को "केवल स्क्रीन तक सीमित नहीं होना चाहिए,” लेकिन तकनीक को पूरी तरह बाहर करना भी "व्यवहारिक नहीं है.”

कई देशों में प्रतिबंध

जर्मनी में डिजिटल शिक्षा को लेकर लंबे समय से चर्चा जारी है. कई राज्यों ने स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग को सीमित किया है, जबकि कुछ ने प्रयोगात्मक रूप से गेमिफिकेशन या डिजिटल इंटरैक्टिव टूल्स को अपनाना शुरू किया है.

हाल ही में हुए शिक्षा मंचों में यह भी चर्चा का विषय रहा कि क्या स्कूलों को बच्चों को डिजिटल उपकरणों से पूरी तरह दूर रखना चाहिए या उन्हें जिम्मेदारी से इस्तेमाल करना सिखाना चाहिए. क्लिंगबाइल ने कहा, "हमें अगली पीढ़ी को केवल तकनीक का उपयोग करना नहीं सिखाना है, बल्कि यह भी सिखाना है कि उसे सोचने, सहयोग करने और जिम्मेदारी से निर्णय लेने में कैसे इस्तेमाल किया जाए.”

दुनियाभर में कई देशों ने बच्चों और किशोरों के स्कूल में मोबाइल फोन तथा सोशल मीडिया के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए हैं. जैसे ब्राजील में जनवरी 2025 में एक संघीय कानून ने सार्वजनिक व निजी स्कूलों में कक्षा व स्कूल की अन्य जगहों में स्मार्टफोन को सामान्य उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. यूरोप में फ्रांस में कई जगहों पर स्कूलों में मोबाइल पर पाबंदी लगाई गई है.

हंगरी ने सितंबर 2024 से राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लागू किया है. ऑस्ट्रिया ने मई 2025 से प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में मोबाइल व स्मार्टवॉच जैसे उपकरणों के उपयोग पर पाबंदी की घोषणा की थी. इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए सोशल मीडिया तक पहुंच पर सख्त नियम अपनाए हैं.