
कोरोना वायरस फेफड़ों की मरम्मत करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है और यह लॉन्ग कोविड जैसी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है. अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा खोजी है जो इसे ठीक कर सकता है.मई 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना महामारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल का अंत घोषित कर दिया था. लेकिन फिर भी, लाखों लोग अब भी थकान, सांस लेने में दिक्कत और दर्द जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, यहां तक कि कोविड संक्रमण के कई साल बाद भी कुछ अनुमानों के अनुसार, 40 करोड़ लोग पोस्ट-कोविड सिंड्रोम से प्रभावित हैं, जिसे आमतौर पर 'लॉन्ग कोविड' कहा जाता है.
पांच साल बाद उत्तर कोरिया में विदेशी पर्यटकों की वापसी
वैज्ञानिक 2020 के अंत से ही लॉन्ग कोविड के कारणों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक डॉक्टरों के पास इस बीमारी का इलाज नहीं है. अब, साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी से पता चला है कि फेफड़ों में सूजन लॉन्ग कोविड का एक बड़ा कारण हो सकता है. चूहों और मनुष्यों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 फैलाने वाला वायरस (सार्स-कोव-2) शरीर की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं को फेफड़ों की मरम्मत करने से रोक देता है.
लॉन्ग कोविड के इलाज की उम्मीद जगाता यह शोध
इस नए शोध से पता चले इलाज को अस्पतालों में इस्तेमाल करने से पहले और परीक्षण करने होंगे. जी सन, अध्ययन के प्रमुख लेखक और अमेरिका की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजिस्ट ने कहा, "हमने देखा कि एक एफडीए-स्वीकृत दवा फेफड़ों को जल्दी ठीक करने और लॉन्ग कोविड से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकती है."
कोविड-19 फेफड़ों की मरम्मत करने की क्षमता को कमजोर करता है. सन का कहना है कि लॉन्ग कोविड के कई लक्षण हो सकते हैं, और इसकी कोशिकीय और आणविक प्रक्रिया काफी जटिल हैं. उन्होंने बताया, "सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह समझना है कि अलग-अलग प्रकार के लॉन्ग कोविड के कौन से खास कारक हैं. इन कारणों को समझना जरूरी है ताकि इस बीमारी के लिए सही और प्रभावी इलाज विकसित किया जा सके."
लॉन्ग कोविड के असली कारण को खोजने के लिए सन और उनकी टीम ने लॉन्ग कोविड से प्रभावित लोगों और चूहों के फेफड़ों के नमूनों का विश्लेषण किया. सन ने आगे कहा, "हमने पाया कि जिन लोगों की मौत (एक्यूट) कोविड से हुई या जो गंभीर सांस से जुड़ी लॉन्ग कोविड से पीड़ित थे, उनके फेफड़ों की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं में पेरॉक्सीसोम नामक सूक्ष्म संरचनाएं कम हो गई थीं."
इसके अलावा सन ने बताया, "हमने पाया कि जिन लोगों की मौत गंभीर कोविड से हुई या जो गंभीर रूप से लॉन्ग कोविड से प्रभावित थे, उनके फेफड़ों की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं में पेरॉक्सीसोम की मात्रा कम हो गई थी, ये कोशिकाएं टिशू रिपेयर के लिए जिम्मेदार होती हैं."
पेरॉक्सीसोम बहुत ही छोटे अंगक होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के अंदर पाए जाते हैं. ये शरीर में डिटॉक्स सेंटर की तरह काम करते हैं, जो खतरनाक विषैले तत्वों को हटाते हैं और चोट लगने के बाद टिशू को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं. शोध में पाया गया कि पेरॉक्सीसोम फेफड़ों के क्षतिग्रस्त टिशू को तेजी से ठीक करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
जियाद एल-एले, अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस में क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजिस्ट और लॉन्ग कोविड के विशेषज्ञ ने कहा, "इस शोध से पता चलता है कि SARS-CoV-2 वायरस पेरॉक्सीसोम को नष्ट कर देता है, जिससे शरीर की खुद को ठीक करने की क्षमता प्रभावित होती है और संक्रमण के बाद फेफड़ों में दाग बन जाते हैं. और यह लॉन्ग कोविड के लंबे समय तक बने रहने वाले लक्षणों का एक मुख्य कारण हो सकता है."
लॉन्ग कोविड के इलाज के लिए अभी परीक्षण की जरूरत
वैज्ञानिकों ने ऐसी दवाओं की तलाश की जो कोविड-19 से हुए फेफड़ों के नुकसान को ठीक कर सके. उन्होंने खासतौर पर पेरॉक्सीसोम (जो फेफड़ों की मरम्मत में मदद करते हैं) को मजबूत करने वाली दवाओं पर ध्यान दिया.
शोध में पाया गया कि सोडियम 4-फिनाइलब्यूटिरेट (4-पीबीए) दवा देने से पेरॉक्सीसोम की संख्या बढ़ी और फेफड़ों में हुए नुकसान में कमी आई. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सबूत है कि यह दवा लॉन्ग कोविड से लंबे समय तक प्रभावित फेफड़ों को ठीक करने में मदद कर सकती है. सन का कहना है, "बड़ी संख्या में लोग लॉन्ग कोविड से प्रभावित हैं, इसलिए यह एक उम्मीद देने वाली खोज हो सकती है."
भारत: हार्ट अटैक और कोविड का क्या है कनेक्शन
4-पीबीए पहले से ही अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) जैसी संस्थाओं में यूरिया साइकिल विकार के इलाज के लिए स्वीकृत है. इसका मतलब है कि इसे इंसानों के लिए सुरक्षित माना जा गया है, जिससे इसे लॉन्ग कोविड के लिए जल्द ही क्लिनिकल परीक्षणों में इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, एल-एले, जो इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे, उन्होंने कहा कि जो नतीजे चूहों में दिखते हैं, वे जरूरी नहीं कि इंसानों में भी दिखे. उनका कहना है, "यह हल्के कोविड मामलों में कैसे असर करेगा या यह इंसानों में असर करेगा भी या नहीं, इसका अभी तक पता नहीं है. इंसानों पर इसके प्रभाव की जांच करना आवश्यक है."
लॉन्ग कोविड के कई कारण हो सकते हैं
सन का कहना है कि लॉन्ग कोविड का फेफड़ों में सूजन एक बड़ा कारण है, लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बाद शरीर में और भी बदलाव होते हैं, जो लॉन्ग कोविड का कारण बन सकते हैं. सन का कहना है, "लॉन्ग कोविड एक जटिल समस्या है, जिसके कई प्रकार हो सकते हैं. हर प्रकार के पीछे अलग कारण हो सकते हैं"
कारिको और वाइसमैन को मेडिसिन का नोबेल
लॉन्ग कोविड के कई कारण हो सकते है जैसे वायरल रिजर्वायर – शरीर में छिपे वायरस जो इम्यून सिस्टम को बार-बार सक्रिय करते हैं, माइक्रोबायोम असंतुलन – आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाना, लेटेंट वायरस का फिर से सक्रिय होना और खून के थक्कों से जुड़ी समस्याएं होना. ये सभी कारण आपस में मिलकर लॉन्ग कोविड के लक्षण पैदा कर सकते हैं. अगर इनमें से किसी एक को रोका जाए, तो शायद लॉन्ग कोविड को भी रोका जा सकता है.
एल-एले का मानना है कि यह अध्ययन उन कई शोधों का हिस्सा है जो पिछले पांच वर्षों में लॉन्ग कोविड को समझने में तेजी से आगे बढ़े हैं. उनका कहना है, "भले ही हम अभी तक लॉन्ग कोविड का पूरा माजरा नहीं सुलझा पाए हैं, लेकिन पांच सालों में हमने काफी प्रगति की है. इतने कम समय में इतना बड़ा शोध करना वाकई शानदार है." उन्होंने यह भी बताया कि यह शोध बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि लाखों लोग अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं और लॉन्ग कोविड के लक्षणों से अभी भी जूझ रहे हैं.
स्रोत: Long COVID science, research and policy