‘नियोक्ताओं के लिए महंगी बाधा’: 20 राज्य क्यों Trump प्रशासन के 1 लाख डॉलर H-1B फीस बढ़ोतरी के खिलाफ कर रहे हैं मुकदमा
डोनाल्ड ट्रंप (Photo Credits: X/@EricLDaugh)

जनवरी में दूसरी बार संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के कार्यभार संभालने के बाद से, उनकी नीतियों को लेकर खासकर डेमोक्रेटिक राज्यों के साथ लगातार कानूनी टकराव देखने को मिल रहा है. ट्रंप प्रशासन की एक अहम इमिग्रेशन नीति — H-1B वीजा के लिए $1,00,000 (एक लाख डॉलर) की फीस बढ़ोतरी — अब अदालत में चुनौती का सामना करने जा रही है.  कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, इलिनॉय समेत कुल 19 राज्यों ने इस फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर करने का फैसला किया है.

कैलिफोर्निया और अन्य राज्यों का कहना है कि H-1B वीजा के लिए नई $1 लाख की फीस अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए एक बड़ी और महंगी बाधा बन जाएगी. H-1B कार्यक्रम के तहत अमेरिकी कंपनियां 'विशेष कौशल वाले पेशों' (Specialty Occupations) के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती हैं, जैसा कि अमेरिकी श्रम विभाग बताता है.

ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कानूनी चुनौती की घोषणा करते हुए कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि ट्रंप की 'गैरकानूनी नई $1 लाख की H-1B वीजा फीस शिक्षकों, डॉक्टरों, शोधकर्ताओं, नर्सों और अन्य जरूरी कर्मचारियों की कमी पैदा कर सकती है, जिससे कैलिफोर्निया की अहम सेवाएं खतरे में पड़ सकती हैं.' यह भी पढ़ें: Trump Gold Card: डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू किया 1 मिलियन डॉलर का ‘गोल्ड कार्ड’ प्रोग्राम, US नागरिकता का नया रास्ता (Watch Video)

बॉन्टा के कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह नई फीस 'खासतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नियोक्ताओं के लिए इन पदों को भरना बेहद मुश्किल और महंगा बना देगी.'

रॉयटर्स के मुताबिक, यह मुकदमा शुक्रवार (स्थानीय समय) को मैसाचुसेट्स की फेडरल कोर्ट में दायर किया जाएगा. यह ट्रंप प्रशासन की H-1B नीति के खिलाफ कम से कम तीसरी कानूनी चुनौती होगी. इससे पहले, अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स और यूनियनों, नियोक्ताओं व धार्मिक संगठनों के एक गठबंधन ने भी इस फीस बढ़ोतरी को चुनौती दी थी.

क्या ट्रंप प्रशासन की H-1B फीस बढ़ोतरी गैरकानूनी है?

बॉन्टा के कार्यालय की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि मुकदमे में आरोप लगाया जाएगा कि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) द्वारा लागू की गई यह नीति कानून का स्पष्ट उल्लंघन है. आरोप है कि यह फीस कांग्रेस द्वारा अधिकृत सीमा से बाहर है, कांग्रेस की मंशा के खिलाफ है, आवश्यक नियम-निर्माण प्रक्रिया को दरकिनार करती है और प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम (APA) के तहत कार्यपालिका को दिए गए अधिकारों से आगे जाती है.

आमतौर पर, H-1B वीजा की फीस कांग्रेस की अनुमति के तहत APA की नोटिस-एंड-कमेंट प्रक्रिया का पालन करते हुए तय की जाती है और यह एजेंसी के कामकाज की वास्तविक लागत तक सीमित होती है.

प्रेस रिलीज में कहा गया है कि सामान्य रूप से कोई नियोक्ता H-1B की शुरुआती अर्जी दाखिल करने पर $960 से $7,595 तक की फीस देता है, जबकि नई प्रस्तावित फीस इससे कहीं ज्यादा है और वीजा प्रोसेसिंग की वास्तविक लागत से मेल नहीं खाती.

शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बॉन्टा ने कहा, 'कोई भी राष्ट्रपति मनमर्जी से हमारे स्कूलों, अस्पतालों और विश्वविद्यालयों को अस्थिर नहीं कर सकता. न ही वह कांग्रेस जैसे समान अधिकार वाले संस्थान, संविधान या कानून की अनदेखी कर सकता है.'

मुकदमा दायर करने वाले राज्यों का यह भी आरोप है कि फीस बढ़ोतरी APA के तहत जरूरी नोटिस-एंड-कमेंट प्रक्रिया के बिना लागू की गई और इसके व्यापक प्रभावों — खासकर सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली जरूरी सेवाओं पर पड़ने वाले असर — पर विचार नहीं किया गया. यह भी पढ़ें: US: ट्रंप प्रशासन ने लॉन्च किया 'PAX Silica Initiative', टेक सप्लाई चेन को मिलेगा नया आकार; भारत को रखा बाहर

कौन-कौन से राज्य कर रहे हैं मुकदमा?

कैलिफोर्निया के अलावा मैसाचुसेट्स, एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, नॉर्थ कैरोलाइना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वॉशिंगटन और विस्कॉन्सिन इस मुकदमे में शामिल हैं.

कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा और मैसाचुसेट्स की अटॉर्नी जनरल जॉय कैंपबेल अन्य सभी राज्यों के अटॉर्नी जनरल्स के साथ मिलकर इस मुकदमे का नेतृत्व कर रहे हैं.