World Hearing Day 2022: प्रत्येक वर्ष 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) मनाया जाता है. इस दिन दुनिया भर में बहरेपन के खिलाफ जागरुकता लाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. एक शोध के अनुसार वर्तमान में लोग खानपान पर उचित नियंत्रण नहीं रखते, जिससे अपने वजन पर नियंत्रण नहीं रख पाते और मोटापे का शिकार हो जाते हैं, शोध में पाया गया है कि ऐसे लोगों में बहरेपन की शिकायत ज्यादा होती है. गौरतलब है कि साल 2007 में पहली बार दुनिया भर में इंटरनेशनल हियर केयर दिवस मनाया गया था. तभी से इस दिन बहरेपन के खिलाफ एक मिशन सरीखा सेलीब्रेशन किया जाता है. इस अवसर पर यहां मुंबई की जानी-मानी ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट सना जेब (Assistant Professor Nair Hospital) सुनने अथवा बहरेपन की समस्याएं एवं समाधान बता रही हैं. Health Tips: हार्ट अटैक से बचना चाहते हैं? तो अपनी थाली से ये 7 खाद्य पदार्थ तुरंत हटा दें!
सुनने की क्षमता में कमी अथवा बहरापन एक ऐसी स्थिति है, जहां व्यक्ति अपनी सुनने की क्षमता खो देता है. यह रोग अनुवांशिक कारणों, जन्म के समय कुछ जटिलताओं, कुछ संक्रामक रोगों, कान में लंबे वक्त तक संक्रमण का बने रहना, व्यक्ति विशेष की कार्य प्रणाली अथवा ऑटो टॉक्सिक दवाओं के ज्यादा उपयोग एवं बढ़ती उम्र के साथ हो सकता है. सना बताती हैं, इंसान के श्रवण क्षमता अथवा सुनने की समस्या कई वजहों से प्रभावित होती है. हम यहां दो तरह समस्या का जिक्र करेंगे.
सुनने की क्षमता को प्रभावित करनेवाली वजहें!
बच्चा जब माँ की कोख में होता है, तो उसे आनुवंशिकी तौर पर यह समस्या घर कर सकती है. यानी माता-पिता में से किसी एक अथवा दोनों को अगर सुनने की किसी तरह की समस्या है तो वह बच्चे में आ सकती है. दूसरी वजह यह है कि आप लंबे समय से ऐसे कार्य स्थल पर कार्य कर रहे हों, जहां बहुत ज्यादा शोर होता है. जैसे किसी इस्पात की फैक्टरी में, एयरपोर्ट पर. यहां बहुत शोर होता है और इंसान ऊंची आवाज में सुनना और बात करने की आदत सी पड़ जाती है. कभी-कभी बच्चे बाल सुलभ तरीके से कान में कोई चीज डाल लेते हैं, इससे कान का पर्दा जो बहुत नाजुक होता है फट जाता है. उससे भी श्रवण क्षमता प्रभावित होती है. इसके अलावा बढ़ती उम्र भी श्रवण समस्या का कारण हो सकती है. यूं तो 60 की उम्र पार करने के साथ ही श्रवणीय क्षमता प्रभावित होने लगती है. कुछ लोग जल्दी सीरियस स्टेज पर चले जाते हैं तो कुछ लोग बिना हियरिंग मशीन के भी बुढ़ापा काट लेते हैं. हांलाकि कुछ लोग 90 वर्ष की आयु तक भी सामान्य रूप से श्रवण शक्ति रखते हैं.
क्या है हियरिंग लॉस और कब करें हियरिंग मशीन का इस्तेमाल!
भारत में लगभग छह लाख से ज्यादा लोग सिग्नीफिकेंट ऑडिटरी लॉस से पीड़ित देखे जाते हैं. एक अध्ययन के अनुसार प्रत्येक 1 हजार बच्चों में से 4 बच्चे गंभीर अथवा अति गंभीर हियरिंग लॉस से प्रभावित होते हैं. डॉक्टर सना बताती हैं कि सुनने में किसी भी तरह की असुविधा अथवा समस्या हो रही है तो सर्वप्रथम किसी योग्य ऑडियोलॉजिस्ट से सलाह मशविरा करनी चाहिए. वही बता सकते हैं कि आपकी ऑडियोग्राम की रिपोर्ट प्रत्येक कान में बहरेपन की डिग्री या सीमा क्या है. और वह उसी के अनुरूप इलाज करते हैं. यदि आपके दोनों कानों में बाईनॉरल हियरिंग लॉस है तो बाइनॉरल (दोनों कानों में) कान की मशीन लगवाना उचित होगा. लेकिन एक कान में समस्या है तो हियरिंग मशीन का इस्तेमाल बिना ऑडियोलॉजिस्ट से सुझाव लिए न प्रयोग करें.
वर्ल्ड हियरिंग डे पर खास संदेश!
सना से यह पूछने पर कि 'वर्ल्ड हियरिंग डे' पर क्या संदेश देना चाहेंगी लोगों को? वे बताती हैं, -अकसर लोग अपने कान के रखरखाव पर ध्यान नहीं देते. कुछ लोग पार्लर में जाते हैं, वहां कान की वैक्स साफ करवाते हैं, मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि पार्लर आदि में धातु के औजार प्रयोग किये जाते हैं, जो कान के परदे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. बेहतर होगा कि स्नान के पश्चात किसी मुलायम कपड़े से कान में जमा अतिरिक्त वैक्स को निकाल लें. यही सुरक्षित प्रक्रिया है. इस दिवस विशेष पर मैं उन बच्चों की माओं को मैसेज देना चाहूंगी कि अगर आपके बच्चे में किसी भी तरह की श्रवण क्षमता में कमी आप महसूस करती हैं तो आप बच्चे की टेस्टिंग करवा लीजिये. क्योंकि यही वह उम्र होती है, जब बच्चे में भाषा का विकास होता है, ऐसे में उसकी श्रवणीय क्षमता परफेक्ट होनी चाहिए. एक बड़ा एवं समझदार व्यक्ति अपनी समस्या को आपको या हमें बता सकता है, लेकिन बच्चा नहीं बता सकता. टेस्ट के दौरान अगर हमें कोई समस्या नजर आती है, तो यही उम्र है जब उसका समुचित इलाज किया जा सकता है. क्योंकि आज की तारीख में हमारे पास वह सारी तकनीकें मौजूद है, जिससे समय रहते बच्चे की श्रवणीय क्षमता को सामान्य स्तर पर ला सकते है.