Karnataka Caste Survey: सुधा मूर्ति और उनके परिवार ने कर्नाटक जाति सर्वे में हिस्सा लेने से किया इनकार, बताई ये वजह
सुधा मूर्ति और उनके पति नारायण मूर्ति ने कर्नाटक के जाति सर्वे में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है. (Photo : X)

बेंगलुरु:राज्यसभा सांसद और जानी-मानी लेखिका सुधा मूर्ति ने कर्नाटक में चल रहे सामाजिक और शैक्षिक सर्वे, जिसे 'जाति जनगणना' भी कहा जा रहा है, में हिस्सा लेने से साफ इनकार कर दिया है. उनके पति और इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी इस सर्वे में शामिल होने से मना कर दिया है.

मूर्ति परिवार का कहना है कि वे किसी पिछड़े समुदाय से नहीं आते हैं, इसलिए इस सर्वे में भाग लेने से सरकार को कोई मकसद पूरा नहीं होगा.

सुधा मूर्ति ने एक सेल्फ-डिक्लेरेशन फॉर्म पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि वे इस सर्वे में हिस्सा नहीं लेना चाहतीं. उन्होंने सर्वे में कोई भी जानकारी न देने के पीछे "निजी कारणों" का भी हवाला दिया.

मुख्य बातें:

  • सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति ने कहा कि वे पिछड़े समुदाय से नहीं हैं.
  • उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा- सर्वे स्वैच्छिक है, किसी पर दबाव नहीं.
  • हाईकोर्ट भी कह चुका है कि सर्वे में हिस्सा लेना अनिवार्य नहीं है.

सरकार ने क्या कहा?

सुधा मूर्ति के इस कदम पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "हम किसी को भी सर्वे में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक (अपनी मर्जी पर) है."

कोर्ट का भी है यही आदेश

गौरतलब है कि जाति सर्वे शुरू होने के कुछ दिनों बाद, 25 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इसे वैकल्पिक बताया था. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सर्वे करने वाले कर्मचारियों को लोगों को यह बताना होगा कि यह सर्वे स्वैच्छिक है और कोई भी जानकारी देने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता.

अदालत ने यह भी कहा, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि इकट्ठा किए गए डेटा को किसी के साथ साझा नहीं किया जाएगा. कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (KSCBC) यह सुनिश्चित करेगा कि डेटा पूरी तरह से सुरक्षित और गोपनीय रहे."

कब तक चलेगा सर्वे?

कर्नाटक में यह जाति सर्वे 22 सितंबर को शुरू हुआ था, जिसमें कर्मचारी घर-घर जाकर डेटा इकट्ठा कर रहे हैं. इस सर्वे पर करीब 420 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और इसमें 60 सवाल शामिल हैं. यह सर्वे 19 अक्टूबर तक पूरा होना है और उम्मीद है कि आयोग दिसंबर तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगा.