Punjab Elections Result 2022: शुरुआती रुझानों से लगता है कि यह पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) क्लीन स्वीप करेगी. यहां हम आपको बताएंगे कि पंजाब की जनता ने किन पांच कारणों के चलते कांग्रेस (Congress) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) व बीजेपी को दरकिनार कर दिया. कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने पिछले सात दशकों से पंजाब में शासन किया है. Uttarakhand Election Results 2022: रूझानों में इतिहास बनाने के करीब BJP, इन 4 बड़े फैक्टर्स के चलते जनता ने बनाया हीरो
राज्य में कैप्टन अमरिन्दर सिंह (Capt Amarinder Singh) के नेतृत्व वाली सरकार पर बादल के खिलाफ आरोपों में नरमी के कारण अकालियों के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया गया था, जिससे यह धारणा बनी कि कांग्रेस और अकाली एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इस बार पूरे पंजाब, खासकर मालवा के लोगों ने बदलाव के पक्ष में वोट किया. राज्य भर में यह संदेश गूंज रहा था कि मतदाताओं ने दो बड़ी पार्टियों को 70 साल तक शासन करते देखा है, लेकिन उन्होंने परिणाम नहीं दिया है. इसलिए समय आ गया है कि किसी और पार्टी को मौका दिया जाए. आप का नारा “क्या बार ना खां ढोखा, भगवंत मान ते केजरीवाल नू देवांगे मौका (हम इस बार मूर्ख नहीं बनेंगे, भगवंत मान और केजरीवाल को मौका देंगे)” पूरे राज्य में गूंज उठा, क्योंकि लोग स्थिति से तंग आ चुके थे.
दिल्ली मॉडल (Delhi Model)
आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने दिल्ली शासन मॉडल के चार स्तंभों -सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण सरकारी शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी के कारण मतदाताओं के सामने पेश किया, जिसे पंजाब की जनता ने पसंद किया. पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां बिजली के लिए दरें ज्यादा है और यहां स्वास्थ्य और शिक्षा का ज्यादातर निजीकरण किया गया था, जिसकी वजह से लोगों ने इस मॉडल को हाथो हाथ लिया.
युवा और महिलाएं हुई आकर्षित
पंजाब में आप (AAP) को उन युवा और महिला मतदाताओं का समर्थन मिला जो एक नई पार्टी और 'आम आदमी' को मौका देना चाहते थे. राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का केजरीवाल का वादा युवाओं के साथ "व्यवस्था को बदलने" और एक नए शासन में रिंग करने के लिए प्रतिध्वनित हुआ, जो शिक्षा और रोजगार को बढ़ावा देगा. इसी तरह, राज्य में महिलाओं के खातों में प्रति माह 1,000 रुपये की राशि जमा करने के AAP के वादे ने महिलाओं को काफी प्रभावित किया है.
मुख्यमंत्री के रूप में भगवंत मान का चेहरा
आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया, जिसकी वजह आप (AAP) पर पंजाब में बाहरी का टैग नहीं लगा. अपने राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य से कई पंजाबियों के दिलों में जगह बनाने वाले लोकप्रिय कॉमेडियन भगवंत मान साफ-सुथरी और मिट्टी के बेटे की छवि वाले नेता है.
कृषि आंदोलन और मालवा
एक साल से अधिक समय तक चलने वाले कृषि आंदोलन ने केंद्र को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने पर मजबूर कर दिया. पंजाब मालवा, माझा और दोआबा एरिया में बंटा हुआ है. सबसे ज्यादा 69 सीटें मालवा में हैं. मालवा में ज्यादातर रूरल सीटें हैं, जहां किसानों का दबदबा है. यही इलाका पंजाब की सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है. कृषि कानूनों के कारण मालवा ने बीजेपी को दरकिनार कर दिया. और आप को अपनी पसंद बनाया.