देहरादून: उत्तराखंड में सभी 70 विधानसभा सीटों पर मतगणना (Uttarakhand Election Results 2022) जारी है और सामने आ रहे रुझानों में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है. चुनाव आयोग के अनुसार बीजेपी 44 सीटों पर आगे चल रही है जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बहुजन समाज पार्टी दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. रूझानों से साफ है कि बीजेपी एक आसान जीत की ओर बढ़ रही है.
बीजेपी अगर उत्तराखंड में जीत दर्ज करने में कामयाब रहती है तो पार्टी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. उत्तराखंड का यह पांचवा विधानसभा चुनाव है. वर्तमान में यहां बीजेपी की सत्ता है. पिछले दो दशक में उत्तराखंड में अब तक हुए चुनाव में हर बार सरकार बदलती रही है. ऐसे में इस बार भी सत्ता परिवर्तन के कयास लगाए जा रहे थे. हालंकि अभी तक के रूझानों में ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
उत्तराखंड में बीजेपी की जीत के बड़े कारण
ब्रांड मोदी
उत्तराखंड में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की लोकप्रियता का ही असर है कि बीजेपी सरकार से नाराजगी के बावजूद आज पार्टी का प्रदर्शन इतना अच्छा है. ब्रांड मोदी के कारण ही बीजेपी सूबे में लगातार दूसरी जीत का इतिहास बनाने जा रही है. पीएम मोदी खुद हर बार कहते रहे हैं कि देवभूमि से उनका रिश्ता बेहद अलग है. चुनावी रैलियां हों या कोई भी मौका पीएम मोदी हमेशा उत्तराखंड से अपना प्रेम दिखाते रहे और यही प्रेम उन्हें रिटर्न में मिला.
वक्त पर CM बदलने से हुआ लाभ
उत्तराखंड की जनता पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से उखड़ी नजर आ रही थी. पार्टी ने यह बात वक्त रहते समझ ली और मुख्यमंत्री बदल दिया. आज के समय अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत ही मुख्यमंत्री होते तो शायद यह नतीजे पार्टी की झोली में नहीं आते. जनता के साथ-साथ कैबिनेट के मंत्री भी त्रिवेंद्र सिंह से नाराज थे. ऐसे में पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलकर अपनी डूबती नाव बचा ली.
पहाड़ी राज्य की बदलती तस्वीर
डबल इंजन सरकार में उत्तराखंड में कई बदलाव हुए. कई सड़कों के साथ बड़ी संख्या में पुलों का निर्माण हुआ. जनता कहीं न कहीं चीज से खुश थी. इसके साथ ही CM पुष्कर सिंह धामी ने कई परियोजनाओं की सौगात राज्य को दी. इसमें बेहतरीन सड़कों के साथ रेलवे मार्ग का विकास भी शामिल है. अब जनता को इंतजार है इन चुनावी वादों के पूरे होने का.
मजबूत विपक्ष का न होना
बीजेपी की जीत का एक बड़ा कारण यह भी है कि उनके सामने मजबूत विपक्ष नहीं है. कांग्रेस ने 2017 के चुनावों में मिली बुरी हार से कुछ सबक नहीं लिया. हरीश रावत ने कांग्रेस को उठाने की कोशिश की लेकिन जनता ने उन्हें ही मुहं के बल गिरा दिया. कांग्रेस जनता के सामने कोई ऐसा चेहरा पेश नहीं कर पाई जिस पर जनता भरोसा कर पाए.