Ford Layoffs: फोर्ड में 4,000 कर्मचारियों की होगी छंटनी, जानें कौन-कौन से देश होंगे प्रभावित

फोर्ड मोटर कंपनी ने यूरोप में अगले तीन वर्षों में 4,000 नौकरियां खत्म करने की योजना बनाई है. यह क्षेत्रीय कार्यबल का लगभग 14% है। यह निर्णय इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग में कमी, चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, और यूरोपीय बाजार की कमजोर स्थिति के कारण लिया गया है.

क्या है छंटनी का कारण?

फोर्ड ने कहा है कि वर्तमान में ऑटोमोबाइल उद्योग, खासकर यूरोप में, कठिन आर्थिक, प्रतिस्पर्धात्मक, और नियामकीय चुनौतियों का सामना कर रहा है. कंपनी के यूरोपीय उपाध्यक्ष डेव जॉनसन ने इस कदम को "आवश्यक और निर्णायक" बताते हुए कहा कि यह फोर्ड के भविष्य को प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखने के लिए जरूरी है.

कौन-कौन से देश होंगे प्रभावित?

छंटनी मुख्य रूप से जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में होगी, और इसे 2027 के अंत तक पूरा किया जाएगा. हालांकि, यह प्रक्रिया श्रमिक संघों के साथ परामर्श के बाद ही पूरी होगी.

इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में कमी

  • फोर्ड की EV श्रेणी, जैसे एक्सप्लोरर और कैपरी मॉडल, कमजोर मांग का सामना कर रही है.
  • कंपनी ने EV उत्पादन लक्ष्यों में कटौती की है और कीमतों में कमी की है.
  • EVs के लिए बाजार में चीन की कंपनियों से भारी प्रतिस्पर्धा है, जो सस्ती और तकनीकी रूप से उन्नत गाड़ियां पेश कर रही हैं.

कर्मचारियों और उत्पादन पर प्रभाव

  • कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण फोर्ड ने उत्पादन में भी कमी करने की योजना बनाई है.
  • कर्मचारियों के लिए कार्यदिवस कम किए जा रहे हैं.

सरकारी मदद की मांग

फोर्ड के मुख्य वित्तीय अधिकारी जॉन लॉलर ने जर्मन सरकार को एक पत्र में सार्वजनिक निवेश और नीतिगत सहयोग की अपील की है.

उन्होंने कहा:

  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने की जरूरत है.
  • उपभोक्ताओं के लिए EV खरीदने पर प्रोत्साहन योजनाएं लाई जानी चाहिए.
  • CO2 मानकों को पूरा करने के लिए कार निर्माताओं को अधिक लचीलापन मिलना चाहिए.

अन्य कंपनियों का संकट

फोर्ड की घोषणा ऐसे समय आई है जब वोक्सवैगन जैसे बड़े ऑटोमोबाइल निर्माताओं को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

  • वोक्सवैगन ने वेतन में 10% कटौती की योजना बनाई है.
  • कंपनी ने तीन फैक्ट्रियों को बंद करने और हजारों कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है.
  • यह चीन और यूरोप के बाजार में हिस्सेदारी खोने के कारण हुआ है.

यूरोपीय ऑटो सेक्टर के लिए चुनौती

  • यूरोप में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा.
  • चीन की कंपनियों की सस्ती EV गाड़ियों का दबदबा.
  • कमजोर आर्थिक स्थिति और नीतिगत समर्थन की कमी.

फोर्ड और वोक्सवैगन जैसी कंपनियों के कदम इस बात का संकेत हैं कि यूरोप का ऑटोमोबाइल बाजार तेजी से बदल रहा है.