
चीन की नई स्टार्टअप डीपसीक DeepSeek ने अपनी कम लागत वाली AI तकनीक के चलते वैश्विक स्तर पर तहलका मचा दिया है. इस AI मॉडल की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता ने सुरक्षा और निजता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. दुनियाभर के नियामक संस्थान इस चीनी AI ऐप की जांच कर रहे हैं, खासतौर पर तब जब यह कुछ ही दिनों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने लगा. इटली और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने सुरक्षा चिंताओं के चलते सरकारी उपयोग के लिए इस ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. आयरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम और नीदरलैंड जैसे देशों के गोपनीयता निगरानीकर्ता भी DeepSeek की डेटा संग्रह नीति को लेकर चिंतित हैं.
डीपसीक (DeepSeek AI )की लोकप्रियता के अलावा, यह अब उइगर समुदाय के लिए नई चिंताएं भी पैदा कर रहा है. शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुसलमान पहले से ही कथित नरसंहार का सामना कर रहे हैं और अब उन्हें यह डर है कि चीन का यह नया चैटबॉट उनकी 1.2 करोड़ की आबादी को इतिहास से मिटाने का एक और प्रयास हो सकता है.
"चीन सरकार उइगर समुदाय को मिटाने के लिए AI का उपयोग कर रही है"
ब्रिटिश समाचार पत्र द इंडिपेंडेंट से बात करते हुए, चीन से 2000 में पलायन कर चुकी रहिमा महमुत ने कहा, "चीन सरकार AI का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह कर रही है." उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों से वह अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पाई हैं और उन्हें पता चला कि उनका भाई दो साल तक एक बड़े हिरासत शिविर में बंद था.
डीपसीक (DeepSeek AI) ने खुद को "विश्व स्तरीय AI सहायक" बताया है और अब तक इसे दुनियाभर में तीन मिलियन से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है.
हालांकि, जब इस चैटबॉट से पूछा गया, "क्या उइगर समुदाय नरसंहार का सामना कर रहा है?" तो इसका जवाब था कि यह दावा "चीन के आंतरिक मामलों पर गंभीर बदनामी" है और "पूरी तरह से निराधार" है.
डीपसीक (DeepSeek AI) ने यह भी कहा, "हम किसी भी देश, संगठन या व्यक्ति द्वारा तथाकथित मानवाधिकार मुद्दों का उपयोग कर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कड़ा विरोध करते हैं."
रहिमा महमुत के लिए "तथाकथित मानवाधिकार मुद्दे" उनके गृहनगर घुलिया से भागने का कारण थे, जहां उन्होंने 1997 में अपने पड़ोसियों और दोस्तों को बड़ी संख्या में हिरासत में लेते हुए देखा था.
निष्कर्ष
डीपसीक (DeepSeek AI)की प्रगति के बावजूद, यह स्पष्ट है कि इसे चीन सरकार द्वारा अपनी नीतियों का बचाव करने और उइगर नरसंहार जैसे गंभीर मुद्दों को नकारने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. वैश्विक नियामकों और मानवाधिकार संगठनों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस तकनीक पर कड़ी निगरानी रखें और निष्पक्षता सुनिश्चित करें.