संसद में 'जय फिलिस्तीन का नारा लगाने वाले ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग, वकील हरि शंकर जैन ने राष्ट्रपति से की शिकायत

संसद में ओवैसी के "जय फिलिस्तीन" नारे को लेकर सियासी गलियारों में तूफ़ान मचा हुआ है. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेते वक़्त "जय फिलिस्तीन" का नारा लगाया था, जिसके बाद से विवाद छिड़ गया है.

वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर ओवैसी की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. सके लिए संविधान के अनुच्छेद 102 (4) का हवाला दिया जा रहा है.

जैन का आरोप है कि ओवैसी ने "जय फिलिस्तीन" नारा लगाकर "किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा और आज्ञाकारिता दिखाई है". उन्होंने कहा है कि 25 जून 2024 को सांसद पद की शपथ लेते वक़्त ओवैसी ने "भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा और आज्ञाकारिता का उल्लंघन किया है."

सांसद के तौर पर सदस्यता लेते हुए अब तक एमपी अपने राज्य और देश की ही बात करते रहे. ये पहला मामला है, जब किसी लीडर ने इस दौरान दूसरे देश के लिए नारा लगाया. इस मामले पर संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि हमारी फिलिस्तीन या किसी देश से कोई दुश्मनी नहीं. समस्या बस इतनी है कि शपथ के दौरान क्या किसी सदस्य को दूसरे देश की बात करनी चाहिए. इसपर हमें नियम चेक करने होंगे.

क्या है  अनुच्छेद 102

  • किसी भी व्यक्ति की लोकसभा या राज्यसभा की सदस्यता रद्द हो सकती है अगर वो संसद में बताए गए पद के अलावा, भारत सरकार या किसी भी राज्य की सरकार के अधीन लाभ का कोई पद ले.
  • अगर लीडर की मानसिक स्थिति खराब हो जाए, और कोर्ट भी इसे मान ले.
  • जिसपर भारी कर्ज हो, और जो अपना उधार चुका पाने में सक्षम न हो. यहां तक कि अदालत ने भी ये मान लिया.

ऐसा शख्स, जो भारत का नागरिक न हो, या जिसने अस्थाई तौर पर विदेशी देश की नागरिकता ले ली हो. अनुच्छेद 102 कहता है कि किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर भी सदस्यता जा सकती है. यही वो पॉइंट है, जिसपर ओवैसी घिरे हुए हैं.